किसी के श्राप का आपके जीवन पर क्या असर होता है?

दूसरे व्यक्ति से सुनते हैं

आजकल हम हर दूसरे व्यक्ति से सुनते हैं कि हमें और हमारे परिवार को श्राप लगा है.

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श्रापों पर अपने विचार व्यक्त किए

प्रेमानंद जी महाराज ने लोगों के दिल से निकलने वाली आह और श्रापों पर अपने विचार व्यक्त किए.

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दिल से आह निकलती

यदि आप किसी भी जीवित प्राणी को चोट पहुंचाते हैं और उसके दिल से आह निकलती है, तो मनुष्य को वह आह भोगनी पड़ती है.

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सांप को बाण की नोक से मारकर

भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए प्रेमानंद महाराज ने बताया कि उन्होंने एक सांप को बाण की नोक से मारकर कांटों पर फेंक दिया था.

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अंदर से आह निकली

वह सांप कई दिनों तक तड़पता रहा और उसके अंदर से आह निकली.

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भीष्म पितामह

उस सांप की आह का परिणाम यह हुआ कि भीष्म पितामह को छह महीने तक बाणों की शय्या पर कष्ट भोगना पड़ा.

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मनुष्य को धूल में मिलाने की शक्ति

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जीवन में किसी की आह नहीं लेनी चाहिए क्योंकि उसमें मनुष्य को धूल में मिलाने की शक्ति होती है.

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हृदय से निकला श्राप कभी व्यर्थ नहीं जाता

किसी के हृदय से निकला श्राप कभी व्यर्थ नहीं जाता और आपको उसका नुकसान उठाना पड़ता है.

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सभी ऋणों से मुक्त हो सकता

वह कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण में अपना मन लगाकर मनुष्य अपने सभी ऋणों से मुक्त हो सकता है.

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