नवाब की तंगी से बनी ये बिरयानी?

बिरयानी न सिर्फ पेट

बिरयानी न सिर्फ पेट, बल्कि दिल पर भी गहरा असर डालती है, और यही कारण है कि दुनियाभर में इसके लाखों प्रेमी हैं.

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एक अलग स्वाद

हर बिरयानी का अपना एक अलग स्वाद और कहानी है, जो दिलचस्प होती है.

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नवाब वाजिद अली शाह

एक ऐसी बिरयानी की कहानी है, जो नवाब वाजिद अली शाह की तंगी से पैदा हुई थी.

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बेदखल कर कोलकाता

1856 में ब्रिटिश सरकार ने नवाब साहब को लखनऊ से बेदखल कर कोलकाता भेज दिया.

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1 लाख रुपये तय किए

पेंशन के रूप में 1 लाख रुपये तय किए. लेकिन इससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई.

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गोश्त पकाने की नई तरकीब

बावर्चियों ने मसालों और चावल के साथ गोश्त पकाने की नई तरकीब अपनाई.

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मीट की मात्रा कम लगे

जिसमें आलू भी डाला गया, ताकि मीट की मात्रा कम लगे. यह बिरयानी नवाब साहब को बहुत पसंद आई.

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बिरयानी में आलू

तब से कोलकाता की बिरयानी में आलू डाला जाने लगा, जो आज सभी का पसंदीदा बन गया.

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