काशी में रहने वाला रामेश्वर एक सफल व्यापारी था. उसकी जिंदगी में धन, परिवार और ऐशोआराम की कोई कमी नहीं थी.
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वैराग की पहली सीढ़ी
रामेश्वर ने धीरे-धीरे अपने व्यापार से दूरी बनानी शुरू की. उसने ध्यान और योग का अभ्यास शुरू किया.
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वैराग जीवन की सादगी
रामेश्वर का दिन अब सूर्योदय के साथ शुरू होता था. वह गंगा में स्नान करता, भजन गाता और ध्यान में डूब जाता. उसने कहा, "पहले मैं धन के पीछे भागता था, अब मैं शांति के पीछे हूं."
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चुनौतियां और आत्म-शक्ति
वैराग जीवन आसान नहीं था. ठंड, भूख और अकेलापन उसकी परीक्षा लेते थे. लेकिन रामेश्वर डटा रहा. उसने महसूस किया कि ये कठिनाइयां उसे और मजबूत बना रही हैं.
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वैराग का संदेश
रामेश्वर की कहानी हमें सिखाती है कि वैराग जीवन कोई मजबूरी नहीं, बल्कि एक सचेत चुनाव है. यह हर किसी के लिए नहीं हो सकता, लेकिन जो इसे अपनाते हैं, वे संसार के शोर से दूर अपने भीतर की शांति को पाते हैं.