इस दिन पृथ्वी का हो जाएगा विनाश! जानिए पुराणों की भविष्यवाणियां

कल्प की परिभाषा

एक कल्प मनुष्य के 4320000 वर्ष (12000 दिव्य वर्ष) का होता है, जिसमें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग शामिल हैं. प्रत्येक युग का समय भिन्न होता है, जो देवताओं के वर्ष के अनुसार मापा जाता है.

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मनवन्तर का मापन

71 युगों का एक मनवन्तर 306720000 मानव वर्ष का होता है. मनवन्तर के अंत में सतयुग के बराबर संध्या होती है, जिससे संधियुक्त मनवन्तर का कुल समय 308448000 मानव वर्ष होता है.

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गर्भकाल

कई करोड़ वर्ष पहले, पूरी धरती जल में डूबी हुई थी. जल में वनस्पतियों और एक कोशीय जीवों का जन्म हुआ, जो न नर थे और न मादा.

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शैशव काल

इस काल में जल में विभिन्न प्रकार के जीवों की उत्पत्ति हुई, जैसे कि अंडज और सरीसृप. ये जीव केवल मुख और वायु युक्त थे.

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कुमार काल

इस समय पत्र ऋण, कीटभक्षी और मानव रूपी जीवों का विकास हुआ, जिसमें वानर और मानव भी शामिल थे.

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युवा और प्रौढ़ काल

युवा काल में कृषि, गोपालन और समाज संगठन की प्रक्रिया शुरू हुई. वर्तमान में प्रौढ़ काल चल रहा है, जिसमें मानव जीवन में विलासिता और क्रूरता बढ़ रही है.

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वृद्ध और जीर्ण काल

इसके बाद वृद्ध काल में जीवों की आयु कम होगी और संसाधनों का अभाव होगा. अंततः उपराम काल में प्रकृति के प्रकोप के बाद आत्यंतिक प्रलय होगा.

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