Supreme Court: देश में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों को गिराने की कार्रवाई को असंवैधानिक करार देते हुए कड़ी निंदा की है.
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की मनमानी कार्रवाई हमारी अंतरात्मा को झकझोर देती है. साथ ही कोर्ट ने पीड़ितों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.
घर ध्वस्त करने की कार्रवाई
प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा की गई इस कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा, "यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है. राइट टू शेल्टर नाम भी कोई चीज होती है. उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है. इस तरह की कार्रवाई किसी तरह से भी ठीक नहीं है." कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना उचित नोटिस और प्रक्रिया के संपत्तियों को ध्वस्त करना कानून के खिलाफ है.
10-10 लाख रुपये हर्जाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि पांचों पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये का हर्जाना तत्काल प्रभाव से दिया जाए. कोर्ट ने इस कार्रवाई को पूरी तरह से गलत और मनमानी करार दिया. कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई जब पीड़ितों ने अपनी शिकायत दर्ज की कि उन्हें कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया था और उनकी संपत्तियाँ बिना किसी चेतावनी के ध्वस्त कर दी गईं.
कोर्ट की फटकार
इससे पहले नवंबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर एक्शन पर फटकार लगाई थी. उस समय कोर्ट ने कहा था, "यह पूरी तरह से मनमानी है, उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आप केवल साइट पर गए थे और लोगों को सूचित किया था."
कोर्ट ने तब सरकार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट की यह कार्रवाई बुलडोजर कार्रवाइयों पर लगाम कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.