अगर मानी जाती बाबा साहब की सलाह, तो तीन हिस्सों में बंटा होता उत्तर प्रदेश

भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने विचारों में बड़े राज्यों को प्रशासनिक और लोकतांत्रिक चुनौतियों का केंद्र बताया था. खासकर उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य को लेकर बाबा साहब ने जो सुझाव 1955 में दिए थे, वे आज भी न केवल प्रासंगिक लगते हैं, बल्कि एक नई बहस को जन्म देते हैं.

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Courtesy: Dr. BR Ambedkar Jayanti

Dr. BR Ambedkar Jayanti: भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने विचारों में बड़े राज्यों को प्रशासनिक और लोकतांत्रिक चुनौतियों का केंद्र बताया था. खासकर उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य को लेकर बाबा साहब ने जो सुझाव 1955 में दिए थे, वे आज भी न केवल प्रासंगिक लगते हैं, बल्कि एक नई बहस को जन्म देते हैं.

बड़े राज्यों पर अंबेडकर की चिंता

डॉ. अंबेडकर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स’ में बड़े राज्यों जैसे बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभाजन की सिफारिश की थी. उनका मानना था कि इतने बड़े राज्य प्रशासन के लिए बोझ बनते हैं और लोकतंत्र की जवाबदेही भी कमजोर पड़ जाती है. अंबेडकर के अनुसार, छोटे राज्य प्रबंधन में अधिक सक्षम होते हैं और समान विकास की दिशा में बेहतर काम कर सकते हैं.

यूपी को तीन हिस्सों में बांटने का दिया था प्रस्ताव

अंबेडकर ने उत्तर प्रदेश को भी विभाजित करने का सुझाव दिया था. उनके अनुसार, इस राज्य को तीन हिस्सों में बांटा जाना चाहिए, जिनकी आबादी लगभग दो करोड़ हो. उन्होंने तीन नए राज्यों की राजधानियों के रूप में मेरठ, कानपुर और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) का प्रस्ताव रखा था. इसका उद्देश्य था—प्रभावी प्रशासन, संतुलित विकास और यह सुनिश्चित करना कि कोई क्षेत्र खुद को हाशिए पर न महसूस करे.

2000 में हुआ आंशिक अमल

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि भाषायी आधार पर राज्य निर्माण तो ठीक है, लेकिन बड़ी भाषायी इकाइयों का निर्माण लोकतांत्रिक भावना के विरुद्ध है. उनका मानना था कि राज्य की सीमाएं केवल भावनाओं पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक व्यावहारिकता को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए. डॉ. अंबेडकर के विचारों को वर्षों तक नजरअंदाज किया गया, लेकिन वर्ष 2000 में बिहार से झारखंड और मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ. हालांकि, उत्तर प्रदेश पर कोई कदम नहीं उठाया गया.

मायावती ने भी रखा था प्रस्ताव

2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने भी अंबेडकर के विचारों से प्रेरित होकर यूपी को चार भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया था—पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, बुंदेलखंड और अवध. लेकिन केंद्र की उस समय की संप्रग सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी. आज जब राज्यों के पुनर्गठन और केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर चर्चा होती है, तब बाबा साहब के ये विचार फिर से सामने आते हैं.

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