One Nation One Election: संसद में इस समय शीतकालीन सत्र चल रहा है. आज यानी मंगलवार को लोकसभा में 'एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक' पारित हो सकता है. इस विधेयक के पेश होने से पहले सपा नेता अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया.
उन्होंने लिखा कि लोकतंत्र के सभी सच्चे समर्थकों से एक अपील. फिर उन्होंने लिखा, 'मैं 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को ध्यान में रखते हुए कुछ कहना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इसे पढ़ें. यह देश, राज्य, समाज, परिवार और हर व्यक्ति से जुड़ा है.
अहंकार को जन्म देता
अखिलेश यादव ने लिखा, "लोकतांत्रिक संदर्भों में ‘एक’ शब्द ही अलोकतांत्रिक है. लोकतंत्र बहुलता का पक्षधर होता है. ‘एक’ की भावना में दूसरे के लिए स्थान नहीं होता. जिससे सामाजिक सहनशीलता का हनन होता है. व्यक्तिगत स्तर पर ‘एक’ का भाव, अहंकार को जन्म देता है और सत्ता को तानाशाही बना देता है.
‘एक देश-एक चुनाव’ का फ़ैसला सच्चे लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा. ये देश के संघीय ढांचे पर भी एक बड़ी चोट करेगा. इससे क्षेत्रीय मुद्दों का महत्व ख़त्म हो जाएगा और जनता उन बड़े दिखावटी मुद्दों के मायाजाल मे फंसकर रह जाएगी, जिन तक उनकी पहुँच ही नहीं है."
प्रिय देश-प्रदेशवासियों, पत्रकारों, सच्चे लोकतंत्र के सभी सच्चे पक्षधरों से अपील।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 17, 2024
‘एक देश-एक चुनाव’ के संदर्भ में जन-जागरण के लिए आपसे कुछ ज़रूरी बातें साझा कर रहा हूँ। इन सब बिंदुओं को ध्यान से पढ़िएगा क्योंकि इनका बहुत गहरा संबंध हमारे देश, प्रदेश, समाज, परिवार और हर एक…
क्षेत्रीय सरोकार सबसे ऊपर
पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि हमारे देश में जब राज्य बनाए गये तो ये माना गया कि एक तरह की भौगोलिक, भाषाई व उप सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के क्षेत्रों को ‘राज्य’ की एक इकाई के रूप में चिन्हित किया जाए. इसके पीछे की सोच ये थी कि ऐसे क्षेत्रों की समस्याएं और अपेक्षाएं एक सी होती हैं .
इसीलिए इन्हें एक मानकर नीचे-से-ऊपर की ओर ग्राम, विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा के स्तर तक जन प्रतिनिधि बनाएं जाएं. इसके मूल में स्थानीय से लेकर क्षेत्रीय सरोकार सबसे ऊपर थे. ‘एक देश-एक चुनाव’ का विचार इस लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही पलटने का षड्यंत्र है.
एक राष्ट्र एक चुनाव- अखिलेश
कन्नौज सांसद ने कहा कि एक तरह से ये संविधान को ख़त्म करने का एक और षड्यंत्र भी है. इससे राज्यों का महत्व भी घटेगा और राज्यसभा का भी. कल को ये भाजपावाले राज्यसभा को भी भंग करने की माँग करेंगे और अपनी तानाशाही लाने के लिए नया नारा देंगे ‘एक देश-एक सभा’ . जबकि सच्चाई ये है कि हमारे यहाँ राज्य को मूल मानते हुए ही ‘राज्यसभा’ की निरंतरता का सांविधानिक प्रावधान है. लोकसभा तो पाँच वर्ष तक की समयावधि के लिए होती है.
उन्होने आगे कहा कि ऐसा होने से लोकतंत्र की जगह एकतंत्रीय व्यवस्था जन्म लेगी, जिससे देश तानाशाही की ओर जाएगा. दिखावटी चुनाव केवल सत्ता पाने का ज़रिया बनकर रह जाएगा. अगर भाजपाइयों को लगता है कि ‘ONE NATION, ONE ELECTION’ अच्छी बात है तो फिर देर किस बात की, केंद्र व सभी राज्यों की सरकारें भंग करके तुरंत चुनाव कराइए. दरअसल ये भी ‘नारी शक्ति वंदन’ की तरह एक जुमला ही है.