"वॉशरूम साफ करें, बर्तन धोओ..." जानिए सुखबीर सिंह बादल के गुनाहों की पूरी कहानी 

Sukhbir Singh Badal: पंजाब से बड़ी खबर सामने आई है. शिरोमणि अकाली दल के नेता और अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब ने तनखैया घोषित कर दिया है. धार्मिक सजा के तहत उन्हें गुरुद्वारा साहिब में वॉशरूम और जूठे बर्तन साफ करने के साथ-साथ लंगर में सेवा देने का आदेश दिया गया है.

Date Updated
फॉलो करें:

Sukhbir Singh Badal: पंजाब से एक बड़ी खबर आ रही है. जहां शिरोमणि अकाली दल के नेता और अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब ने तनखैया घोषित कर दिया है. उन्होंने सुखबीर सिंह बादल के लिए धार्मिक सजा का भी ऐलान किया है. सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब ने बड़ी सजा दी है. उन्होंने कहा कि सुखबीर सिंह को गुरुद्वारा साहिब में गंदे बर्तनों के साथ-साथ वॉशरूम भी साफ करने होंगे. साथ ही उन्हें लंगर में सेवा करनी होगी. इसके अलावा कई अन्य आदेश भी दिए गए, जिसमें कहा गया कि उन्हें लंगर में सेवा करनी होगी.

किन गलतियों के चलते तनखैया घोषित हुए सुखबीर सिंह?

1. राम रहीम को माफी का मामला

2007 में सुखबीर सिंह बादल की सरकार ने सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ दर्ज केस को वापस ले लिया था. राम रहीम पर आरोप था कि उसने दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह का वेश धारण कर अमृत छकाने का ढोंग किया, जिससे सिख संगत में भारी नाराजगी हुई. इस फैसले को वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा माना गया, जिससे बादल को पंथ से गद्दारी के आरोप झेलने पड़े.

2. बरगाड़ी बेअदबी मामला

सुखबीर सिंह बादल पर 2015 के बरगाड़ी बेअदबी कांड की सही तरीके से जांच न करवाने का भी आरोप है. उनकी सरकार के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे सिख युवाओं पर कोटकपूरा में गोलीबारी का आदेश दिया गया, जिसमें दो युवकों की मौत हो गई. यह मामला अब भी कोर्ट में लंबित है.

क्या है सजा?

श्री अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर सिंह बादल और उनकी कोर कमेटी के सदस्यों को 3 दिसंबर को दोपहर 12 से 1 बजे तक गुरुद्वारा साहिब में वॉशरूम साफ करने और जूठे बर्तन धोने का आदेश दिया है. इसके साथ ही, उन्हें गले में "तनखैया" घोषित किए जाने की तख्ती पहनकर श्री दरबार साहिब के बाहर बैठना होगा.

सुखबीर सिंह बादल को दिए गए दंड ने पंजाब की सियासत और धार्मिक समाज में नई बहस छेड़ दी है. यह घटना बताती है कि पंथ से जुड़े मुद्दों पर राजनीति करने की कीमत कितनी भारी हो सकती है.