BJP President Election: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिए तैयार है. मार्च 2025 में होने वाले इस महत्वपूर्ण चुनाव की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है. मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल के बाद अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पार्टी की बागडोर किसके हाथों में जाएगी. हालांकि यह प्रक्रिया जनवरी में शुरू होनी थी, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव और कुछ राज्यों में लंबित संगठनात्मक चुनावों के कारण इसमें देरी हुई. अब बीजेपी इसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कमर कस चुकी है.
पार्टी संविधान क्या कहता है?
बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं हो सकता जब तक देश की कम से कम 50 प्रतिशत राज्य इकाइयों में अध्यक्ष का चयन पूरा न हो जाए. भारत के 36 प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों में से अब तक 12 में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. बाकी 6 राज्यों में चुनाव जल्द संपन्न कराने की तैयारी चल रही है. यह नियम सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय नेतृत्व का चयन संगठन के मजबूत आधार पर हो.
10 दिनों में पूरा होगा 6 राज्यों का चुनाव?
सूत्रों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा जैसे बड़े राज्यों में अगले सात से दस दिनों में अध्यक्षों का चयन हो सकता है. बिहार में मौजूदा राज्य अध्यक्ष को ही बनाए रखने की संभावना जताई जा रही है. वहीं, उत्तर प्रदेश में जिला अध्यक्षों के चुनाव अगले तीन से चार दिनों में निपटने की उम्मीद है. इसके बाद राज्य अध्यक्ष का चुनाव सात से दस दिनों के भीतर पूरा हो जाएगा. इन सभी प्रक्रियाओं के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए रास्ता साफ हो जाएगा.
जेपी नड्डा का शानदार कार्यकाल
जेपी नड्डा ने 17 जून, 2019 को बीजेपी के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला था और 20 जनवरी, 2020 को वह पूर्णकालिक अध्यक्ष बने. उनके नेतृत्व में पार्टी ने 35 राज्यों में चुनाव लड़े, जिनमें से 16 में जीत हासिल की. नड्डा के कार्यकाल में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन किया और केंद्र में सत्ता में वापसी की. अब उनके उत्तराधिकारी पर सबकी नजरें टिकी हैं.
बीजेपी के सामने अब यह चुनौती है कि वह ऐसा नेतृत्व चुने जो संगठन को और मजबूत कर सके. आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि जेपी नड्डा के बाद पार्टी की कमान कौन संभालेगा. यह चुनाव न केवल संगठन के भविष्य को तय करेगा, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव की रणनीति को भी प्रभावित करेगा.