कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संविधान दिवस पर दिए गए भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने राष्ट्रपति के भाषण को लेकर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि "बेचारी राष्ट्रपति थक चुकी थीं, भाषण पढ़ते-पढ़ते".
सोनिया गांधी का बयान
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने यह टिप्पणी संसद भवन में एक प्रेस वार्ता के दौरान की. उनका कहना था कि राष्ट्रपति मुर्मू का भाषण न केवल अत्यधिक लंबा था, बल्कि उसमें वो सामग्री भी नहीं थी जो आम जनता के लिए महत्व रखती. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति को अपनी बात रखने में कठिनाई हो रही थी, जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि वे खुद भी इस भाषण से थक चुकी हैं.
भाषण में क्या था खास?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस के अवसर पर संसद भवन में अपने संबोधन में संविधान के महत्व और उसके निर्माण की प्रक्रिया पर चर्चा की थी. उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय संविधान ने देश को लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक मजबूत आधार दिया है. इसके अलावा, उन्होंने सरकार की योजनाओं और नीतियों के बारे में भी बात की थी, जिनका उद्देश्य देश के हर नागरिक के जीवन स्तर को सुधारना है.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
सोनिया गांधी का कहना था कि जिस प्रकार से राष्ट्रपति ने भाषण पढ़ा, उसमें स्पष्ट रूप से यह दिखता था कि वो स्वयं भी अपने शब्दों से सहमत नहीं थीं. उनका कहना था कि इस तरह के भाषण से न तो सरकार की नीतियों का स्पष्ट उद्देश्य सामने आता है, न ही आम लोगों को उनसे कोई जुड़ाव महसूस होता है. सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि यह समय की मांग है कि राष्ट्रपति ऐसी बातें कहें जो जनता से सीधा जुड़ाव बनाए और उनके समस्याओं का समाधान दिखाए.
सोनिया गांधी ने क्या कहा?
सोनिया गांधी ने इस अवसर पर यह भी टिप्पणी की, "राष्ट्रपति ने जो भाषण दिया, उसमें न तो कोई नया विचार था, न ही कोई आशावाद. यह सिर्फ एक औपचारिकता का हिस्सा लगता था, जो समय के साथ एक बेजान प्रक्रिया बन चुकी है."
सोनिया गांधी का यह बयान राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है, क्योंकि यह राष्ट्रपति की भूमिका और उनके भाषण की गंभीरता पर सवाल उठाता है. वहीं, राष्ट्रपति के भाषण को लेकर कांग्रेस की आलोचना यह दिखाती है कि विपक्ष को यह महसूस हो रहा है कि वर्तमान सरकार के कार्यों और नीतियों को लेकर कोई वास्तविक संवाद नहीं हो रहा.