उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में अपने परिवार के साथ संगम में पवित्र डुबकी लगाई. इस अवसर पर उन्होंने महाकुंभ को केवल एक धार्मिक पर्व न मानते हुए, इसे आस्था का महासागर और भारत की सनातन संस्कृति का जीवंत प्रतीक बताया.
महाकुंभ का महत्व
उपराष्ट्रपति ने कहा, "महाकुंभ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह आस्था का महासागर है, जो भारतीय सभ्यता और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है." उन्होंने महाकुंभ को हमारी सभ्यता, लोकाचार, और सनातन संस्कृति से प्रेरित अद्वितीय आयाम का मानव समागम बताया, जो आध्यात्मिकता और उदात्तता का साक्षी है.
सीएम योगी की व्यवस्था की सराहना
महाकुंभ की आयोजन व्यवस्था पर उपराष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि इस विशाल आयोजन में जो बेहतर व्यवस्था की गई है, वह तारीफ के काबिल है और इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विशेष धन्यवाद दिया.
प्रेम स्वरूपा माँ गंगा, भक्ति स्वरूपा माँ यमुना और ज्ञान स्वरूपा माँ सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम पर आयोजित 'इतिहास के सबसे महान मानव समागम-महाकुम्भ 2025' में स्नान कर आत्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है।
— Vice-President of India (@VPIndia) February 1, 2025
अनंत श्री विभूषित श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य डा श्री पुंडरीक… pic.twitter.com/TE6RXKb5py
धार्मिक और आध्यात्मिक समागम
महाकुंभ की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को महसूस करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इसे भारतीय समाज के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्य का प्रतीक बताया. यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय परंपराओं, संस्कृति और समाज की एकता को भी दर्शाता है.