आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट 4 अक्टूबर स्वतंत्र जांच वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. जस्टिस BR गवई व जस्टिस KV विश्वनाथन की पीठ आज सुबह 10.30 बजे सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई में प्रासद के लिए बनाए जाने वाले लड्डू के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु वसा की मिलावट के दावों पर बात की. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसला करते हुए इस मामले में आंध्र प्रदेश सरकार से लेकर एक स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपने पर विचार करा.
कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को कथित तौर पर लड्डुओं में पशु चर्बी के इस्तेमाल के बारे में बयानबाजी करने को लेकर फटाकर लगाई. जब्कि मामले की जांच लगातार जारी है, लेकिन दावों को लेकर किसी तरह की प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है. पूर्व में न्यायमूर्ति बीआर गवई व न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले में कहा था कि इस बात के क्या सबूत हैं कि तिरुपति लड्डू बनाने के लिए 'दूषित घी' का प्रयोग किया गया था. तुषार मेहता ने पीठ से यह भी कहा कि आस्था के मामले में दूषित घी का इस्तेमाल किया जाना अस्वीकार्य है.
दरअसल नायडू ने महीने के शुरू में दावा किया था कि राज्य में पिछली बाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुपति लड्डू को बनाने में वसा का इस्तेमाल किया करने का आरोप लगाया गया था. लड्डू में मिलावत के बाद से ही राजनीतिक विवाद शुरु हो गया था. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने नायडू पर पलटवार करते हुए राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और सत्तारूढ़ टीडीपी के बीच बायनबाजी शुरु हो गई.
मंदिर प्रबंधक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अधिकारियों ने मामले में ककहा कि पिछले कुछ सालों में उन्हें तीर्थयात्रियों से लड्डू की खराब गुणवत्ता के बारे में कई शिकायतें मिली हैं. टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने नए विवाद के बाद राज्य सरकार को एक रिपोर्ट भेजी जिसमें उन्होंने कहा कि- लड्डूओं को बनाने के लिए आपूर्तिकर्ता ने खराब गुणवत्ता वाले घी का इस्तेमाल किया था. इसमें सुगंध और स्वाद की कमी तो पाई गई थी साथ ही मिलावट होने की भी बात कही गई.