उच्चतम न्यायालय ने असम सरकार से विदेशी नागरिकों को हिरासत केंद्रों में रखने के मामले में गहरी नाखुशी जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की हिदायत दी है और कहा है कि हिरासत केंद्रों में रखे गए व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में है, तो यह अवैध है.
हिरासत केंद्रों की स्थिति पर सवाल
असम में विदेशी नागरिकों के लिए बनाए गए हिरासत केंद्रों की स्थिति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की प्रक्रिया के तहत जिन लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, उन्हें इन केंद्रों में रखा गया है. उच्चतम न्यायालय ने इन केंद्रों की स्थिति पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार से पूछा कि क्या इन केंद्रों में रखे गए लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जा रहा है.
कोर्ट की निर्देशों पर असम सरकार की प्रतिक्रिया
न्यायालय के सवालों का जवाब देते हुए असम सरकार ने कहा कि वह सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए कार्रवाई कर रही है। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि वह इन केंद्रों में रह रहे व्यक्तियों के साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करे और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति बिना न्यायिक समीक्षा के लंबे समय तक हिरासत में न रहे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हिरासत केंद्रों के संचालन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण है.
मानवाधिकारों का उल्लंघन
इस मामले में मानवाधिकार संगठनों ने भी असम सरकार की आलोचना की है. उनका कहना है कि हिरासत केंद्रों में रखे गए लोग, जिनमें कई ऐसे लोग हैं जिन्हें कानूनी प्रक्रिया में देरी के कारण अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा जा रहा है, उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. इन संगठनों ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि असम सरकार को निर्देशित किया जाए कि वह हिरासत में रखे गए व्यक्तियों के लिए बेहतर सुविधाएं और कानूनी सहायता सुनिश्चित करे.
न्यायिक निरीक्षण की आवश्यकता
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में असम सरकार को कानूनी प्रक्रिया और मानवाधिकारों का पालन करने की जिम्मेदारी दी है. यदि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाती है, तो न्यायालय और भी कड़ी कार्रवाई कर सकता है. इस समय, असम सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह इन हिरासत केंद्रों की स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए और वहां रहने वाले लोगों के अधिकारों का उल्लंघन न हो.