Budget 2025 : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 का प्रमुख उद्देश्य विकास को गति देना, समावेशी विकास सुनिश्चित करना और निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना है. उन्होंने राज्यसभा में आम बजट पर चर्चा का उत्तर देते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह बजट विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण समय में तैयार किया गया है, जब वैश्विक परिस्थितियाँ और बाहरी कारक अनुमान से कहीं अधिक जटिल हो गए थे.
चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संतुलन की कोशिश
सीतारमण ने बताया कि बजट को तैयार करते समय सरकार ने भारत के दीर्घकालिक हितों को सर्वोपरि रखते हुए आकलन को यथासंभव सटीक रखने की कोशिश की. उन्होंने यह भी कहा, "हमारे पास कोई निश्चित मॉडल नहीं है, जो भविष्य के रुझानों को सटीक रूप से दिखा सके, क्योंकि परिस्थितियाँ अत्यधिक गतिशील हैं... इसके बावजूद, हमने भारत के हितों को सर्वोच्च रखते हुए अनुमान को सही बनाए रखने का प्रयास किया है." मंत्री ने यह भी बताया कि कई भारतीय आयात, जो देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, वे भी अभी तक अनिश्चितता के शिकार हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्री @nsitharaman ने राज्यसभा में कहा कि यह बजट एक चुनौतीपूर्ण समय के दौरान तैयार किया गया था, जिसमें अनुमान या पूर्वानुमान से परे गंभीर बाहरी चुनौतियां थीं। इसके बावजूद, हमने भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हुए आकलन को यथासंभव सटीक रखने का प्रयास किया है। pic.twitter.com/M77tzrkOht
— SansadTV (@sansad_tv) February 13, 2025
क्षेत्रीय आवंटन में कटौती नहीं, पूंजीगत व्यय में वृद्धि
सीतारमण ने यह स्पष्ट किया कि बजट में क्षेत्रीय आवंटन में कोई कमी नहीं की गई है. आगामी वित्त वर्ष के दौरान प्रभावी पूंजीगत व्यय 19.08 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो सरकार की आर्थिक विस्तार की योजना को दर्शाता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बजट में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है.
भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था इस वर्ष 6.4 प्रतिशत की वास्तविक और 9.7 प्रतिशत की नाममात्र वृद्धि दर्ज कर सकती है. इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि बजट के उद्देश्यों में मुख्य रूप से विकास को बढ़ावा देना, समावेशी विकास को सुनिश्चित करना और निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना है.
कोविड संकट के बाद की आर्थिक स्थिति और सुधार
सीतारमण ने यह भी याद दिलाया कि कोविड संकट के दौरान सरकार ने अर्थव्यवस्था को प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा. उन्होंने बताया कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद भारत को "नाजुक पांच" अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना गया था, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है.
निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया कि इस बजट का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक आंकड़ों को सुधारना नहीं है, बल्कि यह समग्र रूप से देश के विकास को बढ़ावा देने, निजी निवेश को आकर्षित करने और समावेशी विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.