Supreme Court objects to Sambhal Jama Masjid: इस समय संभल की जामा मस्जिद विवादों का केंद्र नहीं है. ऐसे में सिविल जज की ओर से सर्वे का आदेश दिए संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद गर्मा गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फिलहाल निचली अदालत को कोई भी कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है.
यह मामला 19 नवंबर को सिविल कोर्ट द्वारा सर्वे का आदेश देने के बाद तेजी से बढ़ा. मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और उनकी दो सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि निचली अदालत के फैसले पर आपत्तियां हैं, लेकिन यह मामला हाई कोर्ट के अनुच्छेद 227 के अधिकार क्षेत्र में आता है.
धारा 43 देख कर समितियां बनानी चाहिए
CJI ने आगे कहा कि हम नहीं चाहते कि इस बीच कुछ भी ऐसा हो. उन्होंने कहा कि हमे नहीं पता कि आदेश 9 नियम 26 में क्या है. सायद हो सकता है कि अनुच्छेद 227 के तहत हो या उसमे कुछ संशोधन किया जाए. उन्होंने संभल के प्रशासन से कहा कि आप शांति बनने की कोशिश करें. इस मामले को कुछ दिनों के लिए लंबित रखें. मध्यस्थता अधिनियम की धारा 43 देख कर समितियां बनानी चाहिए. उन्होंने कहा इसके लिए हमे विचार करना होगा. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को आदेश को चुनौती देने का पूरा अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और चिंताएं
CJI ने कहा कि वह इस मामले में निष्पक्ष बने रहना चाहते हैं और सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई अप्रिय घटना न हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद समिति के पास निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने का पूरा अधिकार है. साथ ही, निचली अदालत से किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाई गई है.
मामले का विवादित आधार
यह विवाद तब शुरू हुआ जब 19 नवंबर को संभल की सिविल कोर्ट ने हरिहर मंदिर होने का दावा करते हुए मस्जिद पर सर्वे का आदेश दिया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुने बिना ही एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया और सर्वे की प्रक्रिया उसी दिन शुरू कर दी गई. अगले दिन हुए सर्वे के दौरान क्षेत्र में तनाव बढ़ गया, जिसके बाद पुलिस और प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना पड़ा.
मस्जिद समिति का पक्ष
शाही जामा मस्जिद का रखरखाव करने वाली समिति ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि निचली अदालत का यह फैसला पूजा स्थल अधिनियम, 1991 और पुरातत्व संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है. समिति ने सर्वे को अवैध ठहराते हुए कहा कि बिना सुनवाई के आदेश पारित करना न्यायसंगत नहीं है.
हाई कोर्ट में अपील की संभावना
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद समिति को आदेश दिया है कि वह निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दें. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर सीमित रोक लगाई है, और एडवोकेट कमिश्नर को सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा करने के लिए कहा गया है.
सांप्रदायिक शांति की अपील
CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट शांति और सद्भाव बनाए रखना चाहता है. उन्होंने प्रशासन को क्षेत्र में शांति स्थापित करने के निर्देश दिए और मध्यस्थता अधिनियम की धारा 43 का जिक्र करते हुए विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता समितियां बनाने का सुझाव दिया.
आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 6 जनवरी तय की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश विवाद के गुण-दोष पर आधारित नहीं है और याचिकाकर्ता को अपने अधिकारों का उपयोग करने की पूरी स्वतंत्रता है.
संभल की जामा मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाकर सांप्रदायिक तनाव को कम करने की कोशिश की है. कोर्ट ने सभी पक्षों को निष्पक्षता और कानून के दायरे में रहकर विवाद का समाधान निकालने का सुझाव दिया है. अब इस मामले में हाई कोर्ट की भूमिका अहम होगी, जो इस विवाद पर अंतिम फैसला दे सकती है.