देश के उच्चतम न्यायाल में सोमवार 30 सितंबर को असम के 47 लोगों द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई की। जिसमें कोर्ट ने तमाम दलीले सुनी। इसमें लोगों ने उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की बात कही गई थी, क्योंकि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई गई थी। ऐसे में कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए असम सरकार को कोर्ट के आदेशों की अवमानना करने के आरोप में नोटिस जारी किया है।
Supreme Court directs to maintain status quo on Assam's Sonapur demolitions drive and issues notice to authorities concerned to contempt petition alleging wilful violation of the court's interim order dated September 17, directing that no demolition should take place across the… pic.twitter.com/YfjruOhbZr
— ANI (@ANI) September 30, 2024
सुप्रीमं कोर्ट में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने राज्य को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक वर्तमान स्थिति बरकरार रखी जाए। इस महीने की शुरुआत में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में कोई भी विध्वंस बिना उसकी अनुमति के नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने असम के सोनापुर क्षेत्र में चल रही बुलडोजर की कार्रवाई को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया और संबंधित अधिकारियों को अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 17 सितंबर को कोर्ट के अंतरिम आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, 1 अक्टूबर तक “बुलडोजर न्याय” पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर अवैध विध्वंस का एक भी मामला आता है, तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।
आज सुप्रीम कोर्ट कई राज्यों में अपराधियों की संपत्तियों को गिराने के आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि संपत्तियों को गिराए जाने को लेकर एक “कथा” गढ़ी जा रही है। पीठ ने उनसे कहा, “निश्चिंत रहें कि बाहरी शोर हमें प्रभावित नहीं कर रहा है।”
मेहता ने भी दावा किया है कि विशेष धार्मिक समुदाय के मामले में ध्वस्तीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में प्रक्रिया का पालन करने के बाद 70 दुकानें ध्वस्त कर दी गईं। मेहता द्वारा दिए तर्क के मुताबिक "50 से ज़्यादा हिंदू थे। वे 'मोहल्ला' आदि क्या कह रहे हैं... यह कहानी गढ़ना है!" "बाहरी शोर हमें प्रभावित नहीं कर रहा है। हम इस समय इस सवाल में नहीं पड़ेंगे कि...कौन सा समुदाय..." जस्टिस विश्वनाथन ने कहा था।