महाराष्ट्र में राजनीतिक बवाल तेज हो गया है, जब भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के वरिष्ठ नेता किरीट सौमैया ने एक गंभीर आरोप लगाया. सौमैया ने कहा कि राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं. उनके मुताबिक, ये प्रमाणपत्र उन्हें स्थानीय अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए थे, जिससे उनकी नागरिकता को कानूनी रूप से मान्यता मिल गई थी.
फर्जी दस्तावेजों का गंभीर आरोप
किरिट सौमैया ने मीडिया से बात करते हुए यह दावा किया कि महाराष्ट्र में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त कराई जा रही है. उन्होंने यह आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में सरकारी अधिकारियों और बिचौलियों का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है, जो इन लोगों को अवैध तरीके से भारतीय नागरिकता से संबंधित दस्तावेज़ जैसे जन्म प्रमाणपत्र, राशन कार्ड आदि जारी कर रहे हैं.
राज्य सरकार पर उठाए सवाल
सौमैया ने कहा कि यह मामला गंभीर है और राज्य सरकार को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि आखिरकार किस प्रकार से इतनी बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को यह प्रमाणपत्र जारी किए गए, और यह प्रक्रिया किसकी अनुमति से हुई. उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुद्दा केवल प्रशासनिक लापरवाही का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश की सुरक्षा को खतरे में डालना हो सकता है.
फर्जी दस्तावेज़ों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
सौमैया ने यह भी कहा कि इस मामले में पूरी जांच होनी चाहिए और जो भी लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा से संबंधित एक गंभीर मुद्दा है, और यदि इस पर सही समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.
राज्य सरकार का बयान
महाराष्ट्र सरकार ने इस आरोप पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस मामले की जांच करने के लिए तैयार है. हालांकि, विपक्षी नेताओं ने सरकार पर इस मुद्दे को दबाने का आरोप लगाया है. इस मामले पर अधिक जानकारी आने के बाद ही कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी.
महाराष्ट्र में बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाने का मामला अब राजनीति का नया मोर्चा बन गया है. इस आरोप के बाद राज्य में सुरक्षा और नागरिकता से संबंधित मामलों पर सवाल उठने लगे हैं. यह मामला भारतीय नागरिकता कानून और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, और इस पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है.