Shashi Tharoor : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हाल ही में पार्टी के भीतर अपने विचारों और नेतृत्व को लेकर एक तीखी टिप्पणी की है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. शशि थरूर ने कहा कि यदि कांग्रेस को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है तो उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं. हालांकि, उन्होंने पार्टी बदलने की अफवाहों को नकारते हुए यह भी स्पष्ट किया कि वह कांग्रेस छोड़ने के बारे में नहीं सोच रहे हैं. उनका यह बयान केरल में पार्टी नेतृत्व को लेकर उठाए गए सवालों और पार्टी के भीतर बढ़ते विवादों के बीच आया है.
केरल सरकार और पीएम मोदी की तारिफ
शशि थरूर ने हाल ही में केरल सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात की तारीफ की थी, जो कांग्रेस नेताओं को रास नहीं आया. केरल में पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने के बाद, थरूर को कांग्रेस के भीतर विरोध का सामना करना पड़ा. थरूर ने कहा कि वह राजनीति में अपनी विचारधारा के हिसाब से ही बोलते हैं, और उनके विचार संकीर्ण नहीं हैं. उन्होंने पार्टी से आह्वान किया कि वह केरल में अपने वोटर बेस को बढ़ाए और नए मतदाताओं को जोड़ने के लिए काम करें.
केरल इकाई की नेतृत्व क्षमता पर सवाल
थरूर ने यह भी कहा कि कांग्रेस को केरल में एक अच्छे नेता की आवश्यकता है, क्योंकि राज्य में पार्टी का प्रदर्शन लगातार कमजोर हो रहा है. उन्होंने यह दावा किया कि स्वतंत्र सर्वेक्षणों में यह दिखाया गया है कि कांग्रेस समर्थक उन्हें राज्य में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए पसंद करते हैं. थरूर ने चेतावनी दी कि अगर कांग्रेस ने केरल में अपने वोटर बेस को नहीं बढ़ाया तो वह लगातार तीसरी बार विपक्ष में बैठ सकती है, खासकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में.
राहुल गांधी से मुलाकात और विवाद
हाल ही में राहुल गांधी ने शशि थरूर को दिल्ली बुलाया था, जिससे कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के बीच पार्टी की केरल इकाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई होगी. हालांकि, थरूर ने इस मुलाकात के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी. उन्होंने कहा कि इस मुलाकात में केरल चुनाव या राज्य नेतृत्व की भूमिका पर कोई चर्चा नहीं हुई. इसके बावजूद, उनके लेख पर केरल कांग्रेस के नेताओं की आलोचना और विवाद उठने के बाद यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण बन गई थी.
शशि थरूर का पलटवार
शशि थरूर ने कहा कि विवाद के बावजूद उनका लेख केरल की वाम मोर्चा सरकार की नीतियों पर आधारित था, जो राज्य में बेरोजगारी और स्टार्टअप नीतियों को लेकर उनके विचारों का हिस्सा था. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह केवल पार्टी हित में ही बोलते हैं और उनकी आलोचना का मकसद राज्य और देश के व्यापक हितों को सामने लाना है.
शशि थरूर के हालिया बयान और कांग्रेस के भीतर उनके बढ़ते विरोध ने पार्टी के भीतर नेतृत्व और विचारधारा को लेकर बहस छेड़ दी है. हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ने की बात तो नहीं कही, लेकिन उनके तेवर यह साफ कर देते हैं कि वह पार्टी के भीतर अपनी भूमिका को लेकर सवाल उठाने से नहीं डरते. आने वाले समय में यह देखना होगा कि कांग्रेस इस स्थिति को कैसे संभालती है और थरूर की भूमिका पार्टी में कैसे विकसित होती है.