Sambal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी कस्बे में एक विधवा महिला और उनके बेटे-बेटी को उनके घर से महज एक घंटे के अंदर बेदखल कर दिया गया. अधिकारियों ने दावा किया कि यह घर हाल ही में खोजी गई ऐतिहासिक बावड़ी के प्रवेश द्वार पर बना हुआ था.
प्रशासन का दावा
प्रशासन के मुताबिक 54 वर्षीय गुलनवाज बी और उनके परिवार ने जमीन के जाली दस्तावेज़ तैयार किए थे. तीन सप्ताह पहले उन्हें घर खाली करने का नोटिस दिया गया था. शुक्रवार शाम नगर परिषद ने 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया लेकिन दबाव के चलते उन्हें तत्काल घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया.
नियमों की अनदेखी?
उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जा हटाने) अधिनियम 1972 के तहत नोटिस के बाद कम से कम 10 दिन का समय दिया जाना चाहिए. वहीं शहरी विकास अधिनियम 1973 के अनुसार अपील या सुधार के लिए 15 से 40 दिनों का समय मिलना चाहिए. लेकिन गुलनवाज को शाम 5 बजे नोटिस दिया गया और महज एक घंटे के भीतर एसडीएम निधि पटेल और तहसीलदार धीरेंद्र सिंह की टीम ने बुलडोज़र के साथ पहुंचकर घर खाली करवा दिया.
पीड़ित परिवार का दर्द
गुलनवाज ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने अपना घर खो दिया है और कोई मुआवजा नहीं दिया गया. हमें उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा गया है जिन्होंने हमें जमीन बेची लेकिन हमें समझ नहीं आ रहा कि कहां से शुरू करें. उनके बेटे शकीब ने कहा कि मेरे पिता जो बढ़ई थे ने 2017 में यह घर बनाया था. मेरी मां सिलाई कर परिवार का सहारा बनती हैं. सर्दी के इस मौसम में हम नहीं जानते कि कहां जाएं.
प्रशासन का पक्ष
संभल डीएम राजेंद्र पेन्सिया ने कहा कि घर के पंजीकरण दस्तावेज़ फर्जी थे. परिवार को 20-25 दिन पहले मौखिक रूप से सूचित किया गया था. उन्हें अब प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता सूची में शामिल कर लिया गया है. 21 दिसंबर को खुदाई के दौरान इस ऐतिहासिक बावड़ी का पता चला. तीन मंजिलें अब तक सामने आई हैं, लेकिन पास के घरों के नीचे इसकी संरचना मिलने के बाद काम रोक दिया गया. अधिकारियों के अनुसार यह संरचना जल संरक्षण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.