Prashant Kishor: अस्पताल में भर्ती PK के 3 बयानों से BPSC नाराज़, कानूनी नोटिस भेजकर मांगा स्पष्टीकरण

जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार लोक सेवा आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसके बाद बिहार लोक सेवा आयोग के वकील ने प्रशांत किशोर को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें उनसे इन आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. प्रशांत किशोर का कहना है कि बीपीएससी के अधिकारी दलालों और शिक्षा माफियाओं के साथ मिलकर एक-एक पद के लिए 30 लाख से 1.5 करोड़ रुपये तक की वसूली कर रहे हैं.

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Courtesy: प्रशांत किशोर

Patna News: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर को कानूनी नोटिस भेजा है. नोटिस के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने आयोग पर हाल ही में बिना ठोस सबूत के गंभीर आरोप लगाए हैं. उनसे इन आरोपों के प्रमाण प्रस्तुत करने की मांग की गई है. ऐसा न करने पर उनके खिलाफ आईटी अधिनियम समेत अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी. नोटिस में उनके विवादित वीडियो के लिंक भी साझा किए गए हैं. एक वीडियो में प्रशांत किशोर कहते नजर आ रहे हैं कि बिहार के हर जिले और गली-मोहल्ले में चर्चा है कि बीपीएससी के अधिकारी, दलाल, शिक्षा माफिया और स्थानीय नेता मिलकर डील कर रहे हैं. एक पद के लिए 30 लाख से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक वसूले जा रहे हैं.

प्रशांत किशोर का पहला स्टेटमेंट 

बिहार के हर जिले में गली मोहल्ले में चर्चा है, लोग जानते हैं कि जो इस बार बीपीएससी के एग्जाम हो रहे हैं, जिन पदों के लिए बीपीएससी के पदाधिकारियों के दलाल, शिक्षा माफिया, यहां के नेता डील कर रहे हैं एक एक पोस्ट के लिए तीस लाख से डेढ़ करोड़ तक लिया जा रहा है.

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प्रशांत किशोर का दूसरा स्टेटमेंट

जो अनियमितता हुई है, जो लूट हुई है, जो बच्चों की नौकरियों को 100-150 करोड़, एक-एक करोड़ डेढ़ करोड़ में बेचा गया है, ये हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाल है.

प्रशांत किशोर का तीसरा स्टेटमेंट

बीपीएससी गलती कर पा रही है, क्योंकि सरकार उसके पीछे खड़ी है. सरकार के लोग भ्रष्टाचार कर पा रहे हैं, क्योंकि सरकार के लोट लूट रहे हैं। बीपीएससी की आधी से ज्यादा सीट पहले ही बेच दी गई है.

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कई नेताओं और कोचिंग संचालकों को भी भेजा जाएगा नोटिस
आयोग का आईटी सेल इंटरनेट और सोशल मीडिया पर आयोग के खिलाफ किए गए तथ्यहीन बयानों से जुड़े दर्जनों वीडियो खंगाल चुका है. इनमें कई कोचिंग संचालक, शिक्षक, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, विधायक और एमएलसी शामिल हैं, जो आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
अधिकारियों के अनुसार, आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिससे लाखों परीक्षार्थियों का विश्वास जुड़ा होता है. आधारहीन आरोपों से भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है। इस संदर्भ में, पूरी सच्चाई को स्पष्ट करने के लिए सभी संबंधित व्यक्तियों को नोटिस जारी किया जाएगा.