Bhagat Singh Statue at Shadman Chauk: आजादी की लड़ाई के हीरो भगत सिंह के चाहने वाले जितने भारत में हैं, उतने ही उनके दीवाने लोग पाकिस्तान में भी रहते हैं. लेकिन पाकिस्तान में एक अदालत के फैसले से भगत सिंह के चाहने वालों को काफी धक्का पहुंचा है. पाकिस्तान की एक अदालत ने शुक्रवार को लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर स्वतंत्रता संग्राम के नायक भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनका मुजस्समा लगाने का मुतालबा करने वाली याचिका को खारिज कर दी है.
अदालत के एक अफसर ने बताया, "लाहौर हाईकोर्ट के जज शम्स महमूद मिर्जा ने जुमे को भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान की उस अपील को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने और उनके मुजस्समे को उस मकाम पर लगाने की मांग की गई थी, जहां भगत सिंह को फांसी दी गई थी." मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन लाहौर और फाउंडेशन के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जज ने उस अपील को खारिज कर दिया. इससे पहले लाहौर की जिला इंतजामिया का हिस्सा रहे कॉरपोरेशन ने लाहौर हाईकोर्ट को बताया था कि उसने शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने और उनकी प्रतिमा को लगाने की प्रस्तावित योजना को रद्द कर दिया है, जहां 94 साल पहले उन्हें फांसी दी गई थी.
कोर्ट के फैसले को किया नज़रंदाज़
महानगर निगम ने अदालत में दिए अपने लिखित जवाब में कहा था, "लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने की जिला इंतजामिया के प्रस्तावित योजना को कमोडोर (रिटायर्ड) रद्द कर दिया गया है." इम्तियाज रशीद कुरैशी ने जिला इंतजामिया , लाहौर के डिप्टी कमिश्नर, मुख्य सचिव पंजाब और प्रशासक शहर जिला सरकार को अदालत की अवमानना याचिका में एक पार्टी बनाया था, जिसमें कहा गया था कि लाहौर हाईकोर्ट के जज शाहिद जमील खान ने 5 सितंबर, 2018 को मुताल्लिका अफसरों को हिदायत जारी किए थे कि वे शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए कदम उठाएं, लेकिन अदालत के इस फरमान को अभी तक लागू नहीं किया गया है. लाहौर हाई कोर्ट के जज शम्स महमूद मिर्जा ने वादी के वकील की गैर- मौजूदगी की वजह से अवमानना याचिका की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए मंसूख कर दी है.
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