MUDA Land Scam Case: कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कथित MUDA भूमि घोटाला मामले में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने के राज्यपाल थावर चंद गहलोत के फैसले को चुनौती दी थी.
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्यपाल स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं और थावर चंद गहलोत ने पूरी तरह से अपने दिमाग का इस्तेमाल किया. इसलिए, जहां तक आदेश (मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने का) का सवाल है, राज्यपाल के कार्यों में कोई गलती नहीं है.
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को झटका देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा उनकी पत्नी को भूमि अनुदान के संबंध में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज करने के लिए तीन व्यक्तियों को राज्य के राज्यपाल की ओर से दी गई मंजूरी के खिलाफ याचिका दायर की थी.
हाई कोर्ट ने इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री की ओर से 19 अगस्त को दायर रिट याचिका पर लंबी बहस के बाद 12 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. ये याचिका राज्यपाल थावरचंद गहलोत के 16 अगस्त के फैसले के खिलाफ थी , जिसमें कथित MUDA घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मांग करने के लिए तीन निजी व्यक्तियों को अनुमति दी गई थी.
भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं (टीजे अब्राहम, स्नेहमयी कृष्णा और प्रदीप कुमार) ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी पार्वती को MUDA से 3.16 एकड़ ज़मीन के बदले में 14 आवासीय स्थल मिले, जिसे MUDA ने 2021 में पिछली भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल के दौरान अवैध रूप से अधिग्रहित किया था. इससे कथित तौर पर राज्य को 55.80 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
गहलोत ने 26 जुलाई को सिद्धारमैया को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत सीएम के खिलाफ कार्यवाही को मंजूरी दी. सिद्धारमैया की ओर से 19 अगस्त को इस मंजूरी को चुनौती दिए जाने के बाद हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी थी.