Morarji Desai: भारत के राजनीतिक इतिहास में कई बड़े नाम है. जिसमें एक नाम मोरारजी देसाई का भी है. जिनका जन्म गुजरात के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. देसाई एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक अनुभवनी राजनीतिज्ञ भी थे. मोरारजी देसाई देश के चौथे प्रधानमंत्री भी रहे हैं.
मोरारजी देसाई ने देश के लिए कई बड़े काम किए हैं. जिसके लिए देश की ओर से उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया है. हालांकि मोरारजी देसाई को ना केवल भारत की ओर से बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है. देसाई एक मात्र ऐसे भारतीय मूल के व्यक्ति हैं जिन्हें दोनों देशों की ओर से सम्मानित किया गया है.
देसाई ने अपने लंबे और प्रभावशाली राजनीतिक करियर के दौरान सरकार में कई प्रमुख पदों पर काम किया. उनके कार्यकाल को व्यापक रूप से महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक सुधारों की अवधि के रूप में माना जाता है. मोरारजी देसाई ने 10 अप्रैल 1995 को 99 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली थी. आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे.
देसाई को भारत रत्न और निशान-ए-पाकिस्तान दोनों दुर्लभ गौरव प्राप्त है. भारत और पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं. उन्हें 1990 में निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया था, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में उनके प्रयासों को मान्यता देता है. एक साल बाद 1991 में भारत ने राष्ट्र के लिए उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया. यह उस समय एक साहसिक कदम था जब भारत-पाकिस्तान संबंध तनाव से भरे हुए थे. इसने शांति और कूटनीति के प्रति देसाई की प्रतिबद्धता को उजागर किया.
मोरारजी देसाई की राजनीतिक यात्रा जितनी प्रभावशाली थी, उतनी ही घटनापूर्ण भी थी. पांच दशकों के दौरान उन्होंने भारतीय शासन में कुछ सबसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. जिसकी शुरुआत 1952 में बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति से हुई. राष्ट्रीय राजनीति में उनका उत्थान तब जारी रहा जब उन्होंने 1956 में भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला.
इसके बाद 1958 में वित्त मंत्री के पद पर उनकी पदोन्नति हुई. आर्थिक मामलों में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें रिकॉर्ड 10 बार केंद्रीय बजट पेश करने का गौरव दिलाया. यह एक ऐसी उपलब्धि जो आज भी बेजोड़ है. जनता पार्टी ने कांग्रेस को निर्णायक रूप से पराजित करते हुए 1977 चुनावों में जीत हासिल की. पार्टी के नेता के रूप में मोरारजी देसाई को भारत का पहला गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री चुना गया.