जम्मू-कश्मीर में किसकी सरकार? जानें क्या कहता है एग्जिट पोल

Jammu Kashmir Exit Poll Result: एग्जिट पोल में जम्मू में मजबूत सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा के प्रभुत्व की भविष्यवाणी की गई है. जम्मू-कश्मीर एग्जिट पोल ने संकेत दिया कि कांग्रेस, जो जम्मू संभाग में अपनी खोई जमीन वापस पाने की उम्मीद कर रही थी, इस क्षेत्र में भाजपा की जीत की लय को रोक पाने में सक्षम नहीं है.

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Courtesy: Election Commission

Jammu Kashmir Exit Poll Result: इंडिया टुडे-सीवोटर एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर के बावजूद पार्टी अपने गढ़ जम्मू में अपना दबदबा बनाए रखने की संभावना है. एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा 41.3 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 27-31 सीटें जीत सकती है. कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को इस क्षेत्र में 11-15 सीटें मिलने की उम्मीद है.

एग्जिट पोल ने संकेत दिया कि कांग्रेस, जो जम्मू संभाग में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की उम्मीद कर रही थी, इस क्षेत्र में भाजपा की जीत का सिलसिला रोकने में सक्षम नहीं है. कांग्रेस के लिए एकमात्र सांत्वना यह है कि वह इस बार जम्मू में कुछ हिंदू-बहुल सीटें जीत सकती है.

2014 में हिंदू बहुल सीटों पर कैसा था कांग्रेस का प्रदर्शन?

2014 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस एक भी हिंदू बहुल सीट जीतने में विफल रही थी. 2014 में कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में 12 सीटें जीती थीं, लेकिन पार्टी का एक भी हिंदू उम्मीदवार विजयी नहीं हो सका था. जम्मू कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन 2014 के बाद से कांग्रेस ने इस क्षेत्र में अपनी जमीन खो दी है. भाजपा ने 2014 के बाद से जम्मू की दोनों लोकसभा सीटों पर जीत की हैट्रिक बनाई है.

2014 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने इस क्षेत्र में 25 सीटें जीतीं और महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी के साथ चुनाव-पश्चात गठबंधन करके जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आई. हाल ही में हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा जम्मू क्षेत्र में 29 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी.

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?

तो, भाजपा के खिलाफ़ सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कांग्रेस जम्मू में वापसी करने में विफल क्यों रही? राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में मोदी का जादू अभी भी एक प्रमुख कारक बना हुआ है. उन्होंने भाजपा के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय पार्टी के ज़ोरदार प्रचार को भी दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रचार किया.

दूसरी ओर, क्षेत्र में कांग्रेस के फीके और धीमे अभियान ने संभवतः क्षेत्र में उसके खराब प्रदर्शन में योगदान दिया है. तीसरे और अंतिम चरण के मतदान से पहले कांग्रेस के सहयोगी उमर अब्दुल्ला ने जम्मू क्षेत्र में प्रचार के प्रति पार्टी के गैर-गंभीर दृष्टिकोण पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस के कई अंदरूनी लोगों का भी मानना ​​है कि अगर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जम्मू में प्रचार के लिए ज़्यादा समय बिताया होता, तो पार्टी के लिए चीज़ें अलग हो सकती थीं.

फिलहाल, कांग्रेस इस तथ्य से राहत पा सकती है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ उसके चुनाव पूर्व गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर में लाभ दिया है, क्योंकि एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया है कि गठबंधन बहुमत के करीब पहुंच जाएगा.