Indian Population: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने सोमवार को भारत की जनसंख्या से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2036 तक भारत की आबादी 152.2 करोड़ हो जाएगी. इस जनसंख्या में महिला आबादी में साल 2011 की जनगणना की तुलना में 48.8 फीसदी की मामूली वृद्धि होगी. साल 2011 में महिला आबादी कुल आबादी की 48.5 फीसदी थी. ताजा रिपोर्ट 'भारत में महिला और पुरुष 2023' अनुमान लगाती है कि 15 वर्ष से कम आयु के लोगों का अनुपात 2011 से 2036 तक घटेगा. इस कमी का मुख्य कारण प्रजनन दर में गिरावट होगी.
इसके विपरीत, इसी अवधि के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक आयु की आबादी के अनुपात में काफी वृद्धि होने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2036 में भारत की जनसंख्या 2011 की तुलना में अधिक महिला आबादी वाली होगी. यह बातें सेक्स रेशियो को लेकर आई रिपोर्ट से भी पता चलता है. साल 2011 में प्रति 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएं थीं जो साल 2036 में बढ़कर 952 हो सकती हैं. यह लैंगिक समानता में आए सकारात्मक प्रवृत्ति को दिखाता है.
सामने आया जेंडर बेस्ड डेटा
रिपोर्ट भारत में महिलाओं और पुरुषों की स्थिति का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है. यह जनसंख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक भागीदारी और निर्णय लेने पर डेटा प्रदान करती है. यह शहरी-ग्रामीण और क्षेत्रों में जेंडर बेस्ड डेटा को उजागर करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और मापने में लैंगिक सांख्यिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. वे प्रगति के लिए मानक प्रदान करते हैं, जिससे पुरुषों और महिलाओं के बीच समानताएं और अंतर स्पष्ट होते हैं.
महिलाएं परिवार के बारे में सोच रहीं
रिपोर्ट में कहा गया हैकि 2016 से 2020 तक 20-24 और 25-29 आयु वर्ग में आयु-विशिष्ट प्रजनन दर (ASFR) क्रमशः 135.4 और 166.0 से घटकर 113.6 और 139.6 हो गई है. इस अवधि के दौरान 35-39 आयु वर्ग के लिए ASFR 32.7 से बढ़कर 35.6 हो गई है. इससे पता चलता है कि जीवन में व्यवस्थित होने के बाद महिलाएं परिवार के विस्तार के बारे में सोच रही हैं.