Pulwama Attack: 14 फरवरी को भारत ने खोए थे 44 वीर, जानिए उस दिन की दर्दनाक सच्चाई

4 फरवरी का दिन भारत के इतिहास में दो महत्वपूर्ण घटनाओं के रूप में हमेशा याद रहेगा एक तरफ जहां यह प्रेम और स्नेह का प्रतीक वैलेंटाइंस डे के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी तरफ 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले ने देश को गहरे दुख में डुबो दिया. यह दिन भारत के लिए एक दर्दनाक दिन बन गया, जब देश ने अपने 44 शूरवीर जवानों को खो दिया था. 

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Courtesy: social media

Pulwama Attack: 14 फरवरी का दिन भारत के इतिहास में दो महत्वपूर्ण घटनाओं के रूप में हमेशा याद रहेगा एक तरफ जहां यह प्रेम और स्नेह का प्रतीक वैलेंटाइंस डे के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी तरफ 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले ने देश को गहरे दुख में डुबो दिया. यह दिन भारत के लिए एक दर्दनाक दिन बन गया, जब देश ने अपने 44 शूरवीर जवानों को खो दिया था. 

14 फरवरी, 2019 को हुआ था पुलवामा हमला

14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतीपोरा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया. इस काफिले में 60 से अधिक सैन्य वाहन थे, जिनमें 2547 जवान मौजूद थे. आतंकवादियों ने विस्फोटकों से लदी एक कार को सीआरपीएफ की बस से टकरा दिया, जिससे एक भयंकर धमाका हुआ. यह धमाका इतना जोरदार था कि उसकी आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी और आसपास का वातावरण धुएं और आग से भर गया. इस हमले में 44 जवान शहीद हो गए और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए.

पुलवामा हमले की यादें और उसकी गहरी छाप

यह हमला भारतीय सेना के लिए एक गहरा सदमा था, जो आज भी भारतीयों के दिलों में ताजे दर्द के रूप में मौजूद है. पुलवामा हमले ने न केवल भारतीय सुरक्षा बलों को, बल्कि पूरे देश को भी गहरे सदमे में डाल दिया. यह हमला अब तक के सबसे बड़े और कायराना आतंकवादी हमलों में से एक था. 14 फरवरी को पुलवामा में शहीद हुए जवानों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता. 

वैलेंटाइंस डे प्रेम का प्रतीक

पुलवामा हमले के अलावा, 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे के रूप में भी मनाया जाता है. यह दिन प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी दिलचस्प है. तीसरी शताब्दी में रोम के एक सम्राट ने प्रेम करने वालों पर अत्याचार किए थे, तब पादरी वैलेंटाइन ने सम्राट के आदेशों का विरोध करते हुए प्रेम का संदेश फैलाया. इसके लिए सम्राट ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और 14 फरवरी 269 ईस्वी को फांसी दे दी. उनके बलिदान की याद में आज भी यह दिन प्रेम का प्रतीक बना हुआ है.

वैलेंटाइंस डे पर विरोध और समर्थन

वैलेंटाइंस डे को लेकर कुछ लोग विरोध करते हैं, इसे पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव मानते हुए भारतीय संस्कृति के खिलाफ मानते हैं. इसके बावजूद, यह दिन प्रेम, रिश्तों और स्नेह को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है. 

14 फरवरी, चाहे वह पुलवामा हमले के कारण दुख का दिन हो या वैलेंटाइंस डे के रूप में प्रेम का प्रतीक, यह दिन हमेशा भारतीयों के दिलों में रहेगा. यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमें किसी भी परिस्थिति में अपने मूल्यों, प्रेम और शांति की रक्षा के लिए हमेशा खड़ा रहना चाहिए. यह दिन हमें सिखाता है कि प्रेम और बलिदान दोनों ही हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं.