India China Relation: लद्दाख में चीन के 'नए काउंटी' बनाने के दावे पर भारत ने दिया करारा जवाब, लोकसभा में लगाई ड्रैगन की क्लास

भारत-चीन संबंधों में हालिया तनाव का यह घटनाक्रम लद्दाख क्षेत्र में चीन के नए काउंटी बनाने के ऐलान से जुड़ा है, जिसे भारत ने अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला माना है. भारत ने इस कदम को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वह न तो चीन के अवैध कब्जे को स्वीकार करेगा और न ही इस तरह के एकतरफा फैसलों को मान्यता देगा.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: Social Media

India China Relation: भारत-चीन संबंधों में हालिया तनाव का यह घटनाक्रम लद्दाख क्षेत्र में चीन के नए काउंटी बनाने के ऐलान से जुड़ा है, जिसे भारत ने अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला माना है. भारत ने इस कदम को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वह न तो चीन के अवैध कब्जे को स्वीकार करेगा और न ही इस तरह के एकतरफा फैसलों को मान्यता देगा.

यह विवाद लद्दाख के उन हिस्सों से संबंधित है, जिन्हें भारत अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानता है, जबकि चीन ने वहां प्रशासनिक इकाइयां स्थापित करने का दावा किया है.
भारत की प्रतिक्रिया कूटनीतिक स्तर पर 'गंभीर विरोध' तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने यह भी जोर दिया कि चीन का यह कदम उसकी संप्रभुता को प्रभावित नहीं करेगा.

भारत ने चीन को दिया करारा जवाब

विदेश मंत्रालय के राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह के बयान से साफ है कि भारत इस मुद्दे पर अपनी नजर बनाए हुए है और चीन के सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को भी करीब से देख रहा है. यह स्थिति दोनों देशों के बीच पहले से चले आ रहे सीमा विवाद, खासकर 2020 के गलवान संघर्ष के बाद, और गहरे अविश्वास को दर्शाती है.

दूसरी ओर, भारत ने अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है. पिछले दस वर्षों में सीमा सड़क संगठन (BRO) के बजट में उल्लेखनीय वृद्धि और सड़कों, पुलों व सुरंगों के नेटवर्क का विस्तार इस बात का संकेत है कि भारत न केवल रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी सुविधाओं को बढ़ा रहा है. यह कदम चीन के बुनियादी ढांचे के विकास का जवाब तो है ही, साथ ही भारत की दीर्घकालिक रणनीति को भी रेखांकित करता है.

दोनों पक्षों के दावे और हित में टकरार

कुल मिलाकर, यह घटना भारत-चीन संबंधों में एक और तनावपूर्ण अध्याय को दर्शाती है, जहां दोनों देश अपनी-अपनी स्थिति पर अडिग हैं. हालांकि कूटनीतिक विरोध दर्ज किया गया है, लेकिन इसका समाधान निकट भविष्य में निकलने की संभावना कम दिखती है, क्योंकि दोनों पक्षों के दावे और हित आपस में टकरा रहे हैं.