भारत डीपसीक के एआई मोमेंट का लाभ उठाकर अपनी सफलताएं हासिल कर सकता है

एक्सेल के पार्टनर प्रयांक स्वरूप का मानना है कि भारत डीपसीक जैसी चीनी एआई कंपनियों की सफलता को केवल दोहराने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एआई के सही रणनीतिक फंडिंग के साथ नए और अभिनव "शीर्षक खोजों" को जन्म दे सकता है. उनके अनुसार, भारत के पास एआई में अपनी वैश्विक पहचान बनाने का अनूठा मौका है, जिससे यह तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है.

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Courtesy: social media

एक्सेल के पार्टनर प्रयांक स्वरूप का मानना है कि भारत डीपसीक जैसी चीनी एआई कंपनियों की सफलता को केवल दोहराने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एआई के सही रणनीतिक फंडिंग के साथ नए और अभिनव "शीर्षक खोजों" को जन्म दे सकता है. उनके अनुसार, भारत के पास एआई में अपनी वैश्विक पहचान बनाने का अनूठा मौका है, जिससे यह तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है.

डीपसीक का योगदान और उसकी कमियां

स्वरूप ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि डीपसीक ने बड़े भाषा मॉडल (LLM) के निर्माण की कम लागत के बारे में वैश्विक स्तर पर चर्चा शुरू की है. हालांकि, गहन जांच से कुछ समस्याएं भी सामने आई हैं, जैसे कि सरल तर्क, विषय-वस्तु का प्रासंगिक निर्माण और राजनीतिक पूर्वाग्रह. इसके बावजूद, स्वरूप का मानना है कि डीपसीक ने एआई मॉडल के निर्माण की लागत को कम करने के बारे में महत्वपूर्ण चर्चा शुरू की है, और यह एआई के भविष्य के लिए अहम कदम है.

स्वरूप ने कहा, "जब कोई उद्यम नवाचार की लागत को 100 गुना कम करने का दावा करता है, तो आप इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते."

भारत में एआई के अवसर

भारत के लिए डीपसीक का उदय नए अवसरों का संकेत है. स्वरूप के अनुसार, डीपसीक और क्वेन (अलीबाबा का एआई मॉडल) ने यह साबित किया है कि मौलिक एआई अनुसंधान में नवाचार संभव है. हालांकि, डीपसीक के परिणामों में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन भारत के लिए यह एक मौका है कि वह अपनी शोध क्षमता को आगे बढ़ाए और विश्व स्तर पर एआई में महत्वपूर्ण योगदान दे.

स्वरूप ने कहा, "यह हमें एआई में नई, मौलिक सफलताएँ दिला सकता है, और हम इससे न केवल लाभ उठा सकते हैं, बल्कि एआई के भविष्य को आकार देने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं."

भारतीय स्टार्टअप्स के लिए अवसर

भारत में एआई स्टार्टअप्स के लिए यह समय अत्यधिक अहम है. स्वरूप के अनुसार, एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से भारत को अपनी तकनीकी यात्रा में और अधिक तेज़ी से प्रगति करने का अवसर मिलेगा. हालांकि, यह जरूरी है कि भारत अपने एआई मॉडल को बनाने में निवेश करे और अपनी तकनीक की मालिकियत को सुनिश्चित करे. स्वरूप ने उदाहरण देते हुए कहा, "भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब 1960 के दशक में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के अवसर आए थे, तो हमने उन अवसरों को खो दिया. अब एआई में ऐसा नहीं हो सकता."

भारत को अपनी तकनीक का मालिक बनाना होगा

स्वरूप ने यह भी कहा कि भारत को एआई के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अपनी खुद की तकनीक और आधारभूत मॉडल बनाने चाहिए. यह सही समय है कि भारत एआई में अपने खुद के मॉडल तैयार करने में निवेश करे, ताकि भविष्य में वह वैश्विक एआई मानकों से परे जाकर अपनी पहचान बना सके. उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं, जैसे कि एआई मिशन और सेमीकंडक्टर मिशन की सराहना की और इसे भारत के एआई मिशन के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया.

आगे का रास्ता

स्वरूप के अनुसार, एआई के क्षेत्र में भारत को एक मजबूत अनुसंधान और विकास क्षमता बनाने के लिए और अधिक निवेश की आवश्यकता है. वह मानते हैं कि एआई में नवाचार की गति तेज हो सकती है, और यह भारत के स्टार्टअप्स को वैश्विक स्तर पर सफलता दिला सकता है. उन्होंने एआई में भविष्य की संभावनाओं को उजागर करते हुए कहा, "आज की दुनिया में बड़े तकनीकी कंपनियां सिर्फ तकनीकी निर्माण करती हैं, जबकि लाखों अन्य कंपनियाँ तकनीकी अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं. एआई भी उसी रास्ते पर जाएगा."

भारत के लिए एआई के क्षेत्र में सफलता पाने का यह सही समय है. डीपसीक और क्वेन जैसी कंपनियों से प्रेरणा लेते हुए, भारत को अपनी एआई क्षमता को और बढ़ाना होगा. सही रणनीतिक निवेश और अनुसंधान के साथ, भारत एआई के क्षेत्र में विश्व के प्रमुख देशों में शुमार हो सकता है.