Income Tax Bill 2025: क्या होंगे संभावित बदलाव और आप पर इसका प्रभाव? जानिए सब कुछ 

केंद्र सरकार 13 फरवरी 2025 को संसद में नया आयकर विधेयक 2025 पेश कर सकती है. इस विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना और अनुपालन प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाना है. इसके जरिए करदाताओं के लिए नियमों को समझना आसान होगा, जिससे उन्हें पेशेवर सहायता की आवश्यकता कम पड़ेगी.

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Income Tax Bill 2025: केंद्र सरकार 13 फरवरी 2025 को संसद में नया आयकर विधेयक 2025 पेश कर सकती है. इस विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना और अनुपालन प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाना है. इसके जरिए करदाताओं के लिए नियमों को समझना आसान होगा, जिससे उन्हें पेशेवर सहायता की आवश्यकता कम पड़ेगी. इस विधेयक में कुल 23 अध्याय, 16 अनुसूचियां और 536 धाराएं शामिल हैं, जो विभिन्न कर प्रावधानों को कवर करती हैं.

क्या हो सकते हैं प्रमुख बदलाव?

इस नए विधेयक में आसान भाषा और सरल शब्दावली अपनाने का प्रस्ताव है. इसके तहत 'आकलन वर्ष' (Assessment Year) को 'कर वर्ष' (Tax Year) और 'पिछला वर्ष' (Previous Year) को 'वित्तीय वर्ष' (Financial Year) से बदला जाएगा. इस बदलाव के बाद, कर वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर वित्तीय वर्ष के साथ संरेखित होगा. वर्तमान में, 2024-25 के दौरान अर्जित आय को 2025-26 के आकलन वर्ष में आंका जाता है. नए व्यवसाय या पेशे की स्थिति में कर वर्ष उस तारीख से शुरू होगा, जब व्यवसाय या पेशे की शुरुआत हुई हो. अगर किसी वित्तीय वर्ष के बीच में नया आय स्रोत जुड़ता है, तो कर वर्ष उसकी शुरुआत की तारीख से माना जाएगा और वित्तीय वर्ष के अंत तक चलेगा.

वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर कड़ा नियंत्रण

इस विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि सर्च ऑपरेशन के दौरान बरामद वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets) को 'अघोषित आय' (Undisclosed Income) माना जाएगा. फिलहाल इस श्रेणी में केवल नकदी, सोना-चांदी और आभूषण आते हैं. नए कानून के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को कर प्रशासन संबंधी नियम तय करने, अनुपालन उपाय लागू करने और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम को सख्ती से लागू करने का अधिकार मिलेगा. इससे बार-बार विधायी संशोधन की जरूरत नहीं होगी.

आईटीआर फाइलिंग की समयसीमा

  • नए विधेयक में आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की मौजूदा समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
  • 31 जुलाई तक: वे करदाता, जिन्हें अपने खातों का ऑडिट कराने की आवश्यकता नहीं है.
  • 30 सितंबर तक: ऑडिट अनिवार्य होने वाले करदाताओं के लिए.
  • 31 अक्टूबर तक: अंतरराष्ट्रीय लेनदेन करने वाले करदाताओं के लिए.
  • 30 नवंबर तक: अंतरराष्ट्रीय लेनदेन वाले करदाताओं की ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि.

अगर कोई करदाता निर्धारित समयसीमा के बाद रिटर्न दाखिल करता है या संशोधित रिटर्न (Revised Return) फाइल करना चाहता है, तो उसे 31 दिसंबर तक विलंबित या संशोधित रिटर्न दाखिल करने की अनुमति होगी. अगर रिटर्न समय पर दाखिल नहीं किया जाता है, तो धारा 234F के तहत ₹5,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.