भूमि मालिकों को अवैध मुआवजा: न्यायालय ने नोएडा के कामकाज की जांच के लिए एसआईटी गठित की

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त समिति की जांच से असंतुष्ट सर्वोच्च न्यायालय ने नोएडा के अधिकारियों की ओर से भूमि मालिकों को दिए गए अवैध मुआवजे के मुद्दे की पड़ताल के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.

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Courtesy: social media

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त समिति की जांच से असंतुष्ट सर्वोच्च न्यायालय ने नोएडा के अधिकारियों की ओर से भूमि मालिकों को दिए गए अवैध मुआवजे के मुद्दे की पड़ताल के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने भ्रष्टाचार के आरोपी नोएडा (न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकारण) के कानूनी सलाहकार और एक विधि अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया.

पीठ ने कहा कि आरोप कुछ भूस्वामियों के पक्ष में मुआवजे की भारी भरकम रकम जारी करने से संबंधित हैं, जो कथित तौर पर अपनी अधिगृहित भूमि के लिए इतना अधिक मुआवजा पाने के हकदार नहीं थे.

शीर्ष अदालत ने विशेष जांच दल का गठन किया, जिसमें भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी और लखनऊ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एस. बी. शिराडकर, सीबीसीआईडी (अपराध शाखा-अपराध अन्वेषण विभाग) ​​के महानिरीक्षक मोदक राजेश डी. राव और उप्र स्पेशल रेंज सुरक्षा बटालियन के कमांडेंट हेमंत कुटियाल शामिल हैं.

शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को जारी आदेश में कहा, ‘‘विशेष जांच दल, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित मुद्दों की भी जांच करेगा : (1) क्या भूमि मालिकों को भुगतान किया गया मुआवजा, समय-समय पर न्यायालयों द्वारा पारित निर्णयों के अनुसार उनके हक से अधिक था, (2) अगर ऐसा है, तो ऐसे अत्यधिक भुगतान के लिए कौन से अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार थे, (3) क्या लाभार्थियों और नोएडा के अधिकारियों/कर्मचारियों के बीच कोई मिलीभगत थी और (4) क्या नोएडा के समग्र कामकाज में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता का अभाव है.’’

एसआईटी को दो महीने के भीतर सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए पीठ ने कहा कि जांच के दौरान टीम किसी भी अन्य संबद्ध मुद्दे पर विचार करने के लिए स्वतंत्र है.

हालांकि, पीठ ने अतिरिक्त मुआवजा पाने वाले लाभार्थियों, किसानों और भूस्वामियों को बिना उसकी अनुमति के किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया. पीठ ने कहा, ‘‘...इसलिए यह वांछित है कि एक स्वतंत्र एजेंसी को वैधानिक प्राधिकरण के रूप में नोएडा के कामकाज की गहन जांच करनी चाहिए.’’

राज्य सरकार ने पांच अक्टूबर, 2023 को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने मेरठ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सहित तीन अधिकारियों की एक तथ्यान्वेषी समिति गठित की है, जो उन मामलों की जांच करेगी जहां नोएडा ने प्राधिकरण के अधिकारियों और लाभार्थियों की मिलीभगत तथा सांठगांठ से अवैध मुआवजे का भुगतान किया हो.

पीठ ने राज्य सरकार से नोएडा के मामलों की जांच के मामले में पारदर्शिता, निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता के लिए एसआईटी के गठन के वास्ते कुछ नाम सुझाने को कहा था. इसके लिए उप्र कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के नाम सुझाने को कहा गया था, जो राज्य से संबंधित नहीं हों. राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने तीन अधिकारियों के नाम प्रस्तुत किए थे.

(इस खबर को सलाम हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)