Gyanvapi Masjid Case: नहीं होगा ASI सर्वे! ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष को लगा बड़ा झटका

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में वाराणसी की एक अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी है. इस याचिका में एएसआई से पूरे परिसर का सर्वेक्षण कराने की मांग की गई थी. हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में यह दावा किया था. कोर्ट ने अब इसे लेकर बड़ा फैसला सुनाया है.

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Courtesy: Social Media

Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा अतिरिक्त संपत्ति सर्वेक्षण के लिए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया. इस मामले की सुनवाई सिविल जज (Senior Division) फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश युगुल शंभू ने की.

विजय शंकर रस्तोगी ने दी जानकारी 

अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि उन्होंने अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद यह तय करने का निर्णय लिया है कि वे इसके खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय या जिला अदालत में याचिका दायर करेंगे या नहीं. इससे पहले रस्तोगी ने फरवरी में अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें ASI से ज्ञानवापी परिसर का व्यापक सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया था.

उनका कहना था कि ASI को बस्ती भूखंड संख्या 9130 पर स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए निर्देश दिया जाए, जिसमें वैज्ञानिक तरीके जैसे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) और जियो-रेडियोलॉजी का उपयोग किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा संरचना को नुकसान पहुँचाए बिना सभी हिस्सों का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए.

क्यों दायर हुई थी याचिका ?

बता दे, ज्ञात हो कि ज्ञानवापी परिसर की विवादित स्थिति के चलते यह याचिका दायर की गई थी. हिंदू पक्ष का दावा है कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले के मंदिर के ऊपर किया गया था. इस विवाद को सुलझाने के लिए ASI ने वाराणसी जिला न्यायाधीश के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था.

ASI ने 18 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट जिला अदालत में प्रस्तुत की, जिसमें वास्तुशिल्प अवशेषों, कलाकृतियों, शिलालेखों और अन्य विशेषताओं का अध्ययन शामिल था. ASI की रिपोर्ट दोनों पक्षों को सौंपी गई थी, लेकिन ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी ने इस याचिका का विरोध किया है.

अभी तक की प्रक्रिया और अदालती आदेश से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आगे की कानूनी लड़ाई में क्या कदम उठाए जाएंगे. हिंदू पक्ष की याचिका खारिज होने के बाद, सभी की निगाहें अब अगली कानूनी कार्यवाही पर हैं.