Ban Pornographic Content: सरकार सोशल मीडिया पर अश्लीलता और भौंडे कंटेंट पर नियंत्रण लगाने के लिए सख्त कदम उठाने जा रही है. इसके तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय जल्द ही सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट जारी करेगा. इस कोड के अनुसार, इंफ्लूएंसर्स को न केवल अपने कंटेंट की रेटिंग देनी होगी, बल्कि उन्हें डिस्क्लेमर भी शामिल करना होगा, जैसा कि फिल्मों में नशीली वस्तुओं और हिंसक दृश्यों के लिए किया जाता है. यह पहल सरकार की योजना है, जिससे सोशल मीडिया पर अश्लीलता, फूहड़ता और भौंडेपन को नियंत्रित किया जा सके.
सोशल मीडिया पर बढ़ते भौंडे कंटेंट पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
इस पहल के पीछे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बढ़ते भौंडे और अश्लील कंटेंट का मुद्दा है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तीखी टिप्पणी की थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि भौंडे कंटेंट पर रोक लगाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है. अदालत ने विशेष रूप से पूछा था कि क्या सरकार इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई कर रही है. इस सवाल के बाद सरकार ने सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स के लिए कोड ऑफ कंडक्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
कोड ऑफ कंडक्ट का उद्देश्य और प्रभाव
नई नीति के तहत, पांच से 50 लाख फॉलोअर्स वाले सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स को यह कोड अपनाना होगा. इसके जरिए इन इंफ्लूएंसर्स से अपेक्षाएं की जाएंगी कि वे अपने कंटेंट की रेटिंग प्रदान करें, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उनका कंटेंट कितना उपयुक्त या अश्लील है. रेटिंग की सीमा 1 से 5 तक हो सकती है. इसके अलावा, अगर किसी कंटेंट में अश्लीलता या भौंडापन पाया जाता है, तो संबंधित इंफ्लूएंसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अगर किसी इंफ्लूएंसर ने कोड का उल्लंघन किया, तो उन्हें मौजूदा आपराधिक कानून के तहत जुर्माना या सजा का सामना करना पड़ सकता है.
उल्लंघन करने पर क्या कदम उठाए जाएंगे?
कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने पर पांच लाख से कम फॉलोअर्स वाले इंफ्लूएंसर्स को पहली बार चेतावनी दी जाएगी. दूसरी बार उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा और तीसरी बार कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं. इस प्रक्रिया से सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सोशल मीडिया पर भौंडे और अश्लील कंटेंट का प्रसार न हो और इंफ्लूएंसर्स की जिम्मेदारी तय की जा सके.
नए डिजिटल इंडिया बिल का मसौदा
सरकार सोशल मीडिया पर अश्लीलता पर लगाम कसने के लिए डिजिटल इंडिया बिल पर भी काम कर रही है. इस बिल में यू-ट्यूब, डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया यूजर्स को रेगुलेट करने के प्रावधान होंगे. इस बिल को लेकर सरकार ने विशेषज्ञों से राय ली है और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गवर्नेंस से जुड़ी व्यवस्था भी की जाएगी. यह बिल सूचना प्रौद्योगिकी और प्रसारण क्षेत्र से जुड़े कई पहलुओं को कवर करेगा और इसके जरिए सोशल मीडिया पर बच्चों को अश्लीलता और भौंडे कंटेंट से बचाने का प्रयास किया जाएगा.
सरकार का यह कदम सोशल मीडिया पर फैली अश्लीलता और भौंडे कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए एक ठोस पहल है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इन नए नियमों और कोड ऑफ कंडक्ट का असल प्रभाव किस तरह से दिखाई देता है और क्या यह सोशल मीडिया पर सकारात्मक बदलाव ला पाता है या नहीं.