Shankaracharya from Maha Kumbh : प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ को लेकर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य, जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगने की बात कही थी. उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाए थे और इसे भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया था. शंकराचार्य के इस बयान के बाद, अब उन्हें संतों के निशाने पर लाया गया है. श्री कृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित दिनेश फलाहारी ने शंकराचार्य को महाकुंभ से बाहर करने की मांग की है.
कुंभ से बाहर करने की मांग का कारण
महाकुंभ के दौरान, श्री कृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास ने भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि की मुक्ति का मुद्दा उठाया. प्रयागराज में आयोजित एक विराट संकल्प सभा में देशभर के प्रमुख संतों ने भाग लिया. इस सभा में पंडित दिनेश फलाहारी ने शंकराचार्य द्वारा कुंभ की छवि को धूमिल करने की आलोचना की और उनकी भविष्य में कुंभ क्षेत्र में उपस्थिति पर सवाल उठाए. संतों ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें शंकराचार्य को कुंभ से बाहर करने और भविष्य में उन्हें ऐसी महापर्वों में स्थान न देने की मांग की गई.
संकल्प सभा का आयोजन और कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति का संकल्प
संकल्प सभा का आयोजन राधा प्रसाद देव जू महाराज के पंडाल में हुआ, जहां संतों ने भगवान श्री कृष्ण के चित्रपट पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित किए. इस सभा में हजारों की संख्या में साधु-संतों ने कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति के लिए संकल्प लिया. पंडित दिनेश फलाहारी ने इस अवसर पर कहा, "जब तक भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मुक्त नहीं होती, तब तक भारतवर्ष अपने परम वैभव को प्राप्त नहीं कर सकता."
सीएम योगी के इस्तीफे पर उठे सवाल
संकल्प सभा में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा सीएम योगी से इस्तीफा मांगने को निंदनीय बताया गया. संतों ने इस पर एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें शंकराचार्य को भविष्य में कुंभ क्षेत्र में स्थान न दिए जाने की बात कही गई. पंडित दिनेश फलाहारी ने यह भी कहा कि "जिन्हें हिंदू धर्म और कुंभ की गरिमा की कोई समझ नहीं है, उन्हें इस प्रकार के आयोजन से बाहर रखा जाना चाहिए."
विरोध करने वाले संतों की आवाज
महंत मोहिनी बिहारी शरण महाराज और अन्य संतों ने शंकराचार्य की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्तियों को हिंदू धर्म को कमजोर करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों का काम इस्तीफा मांगना है, न कि धार्मिक आयोजनों में विवाद उत्पन्न करना.
महाकुंभ से शंकराचार्य को बाहर करने की मांग ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. संतों का मानना है कि जो लोग कुंभ की गरिमा को चोट पहुंचाते हैं, उन्हें ऐसे महत्वपूर्ण आयोजनों से दूर रखना चाहिए. भविष्य में इस तरह के विवादों का सामना करना पड़ सकता है, जब तक धार्मिक सम्मान और सही विचारों का पालन नहीं किया जाएगा.