दिल्ली हाईकोर्ट ने 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में मां-बेटे को अग्रिम जमानत देने से इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित 400 करोड़ रुपये के वित्तीय धोखाधड़ी मामले में दो आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि इस तरह के अपराध वाणिज्यिक और आर्थिक दुनिया के लिए बहुत गंभीर हैं और इनकी "अत्यंत गंभीरता" से जांच की आवश्यकता है.

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Courtesy: social media

दिल्ली हाईकोर्ट ने 400 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए मां-बेटे की जोड़ी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. इस फैसले के बाद, अब इस मामले में आरोपी मां और बेटा पुलिस जांच का सामना करेंगे.

धोखाधड़ी का मामला

यह मामला एक गंभीर धोखाधड़ी का है, जिसमें आरोप है कि आरोपी मां-बेटे ने मिलकर 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. इस धोखाधड़ी का शिकार कई निवेशक और कंपनियां बनीं, जिनका पैसा इन आरोपियों ने हड़प लिया. दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई बार कोशिशें की, लेकिन दोनों आरोपी जमानत की मांग कर रहे थे.

अग्रिम जमानत का आवेदन

मां और बेटे ने दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिसमें उनका कहना था कि वे इस मामले में पूरी तरह से निर्दोष हैं और उन्होंने जानबूझकर कोई गलत कार्य नहीं किया. उन्होंने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत मिलनी चाहिए, ताकि वे अपनी दलीलें पेश कर सकें.

कोर्ट का फैसला

हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकी अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज करते हुए साफ तौर पर कहा कि यह मामला गंभीर है और इसमें आरोपी की गिरफ्तारी की आवश्यकता है. अदालत ने माना कि यह एक बड़ा धोखाधड़ी का मामला है, और आरोपी अगर जमानत पर बाहर आ गए तो मामले की जांच पर असर पड़ सकता है. कोर्ट ने इस फैसले के साथ आरोपियों को पुलिस के समक्ष उपस्थित होने और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया.

इस फैसले का महत्व

यह निर्णय न्यायपालिका के सामने खड़े ऐसे मामलों में सख्त रवैया अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अदालत धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराधों को लेकर कोई भी नरमी बरतने के पक्ष में नहीं है. न्यायपालिका का यह कदम धोखाधड़ी के मामलों में सख्ती को दर्शाता है और यह संदेश देता है कि ऐसे मामलों में जिम्मेदारी से काम लिया जाएगा. दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्णय धोखाधड़ी के मामलों में न्यायिक सख्ती को मजबूत करने के दिशा में एक अहम कदम है. अब मां-बेटे को अपनी दोषिता साबित करने के लिए पुलिस जांच का सामना करना पड़ेगा. ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज होने से अपराधियों के खिलाफ सख्त संदेश जाता है.