New Delhi: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना शनिवार को होगी, जिससे यह तय होगा कि आप चौथी बार सत्ता में आएगी या भाजपा 26 साल से अधिक समय के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाएगी.
पिछले दो चुनावों में एक भी सीट न मिलने के बाद कांग्रेस भी कुछ लाभ की उम्मीद कर रही है. चुनाव परिणामों की पूर्व संध्या पर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर उस समय जबरदस्त राजनीतिक नाटक हुआ, जब भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की एक टीम वहां पहुंची और उनके इस आरोप के संबंध में विवरण और सबूत मांगे कि भाजपा ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को खरीदने का प्रयास किया था.
चूंकि केजरीवाल अपने 5, फिरोजशाह रोड स्थित बंगले पर एसीबी अधिकारियों से नहीं मिले, इसलिए उन्हें कानूनी नोटिस भेजकर सबूत मांगे गए. यह कदम उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा मामले की एसीबी जांच के आदेश दिए जाने के तुरंत बाद उठाया गया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना की प्रक्रिया शहर के 11 जिलों में फैले 19 मतगणना केंद्रों पर सुबह 8 बजे शुरू होगी.
कई एग्जिट पोल में भाजपा को आप पर बढ़त दी गई है, जो 2015 से दिल्ली में शासन कर रही है. शाहदरा, मध्य दिल्ली, पूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम जिलों में से प्रत्येक में एक मतगणना केंद्र होगा. उत्तर, पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पूर्व जिलों में से प्रत्येक में दो मतगणना केंद्र होंगे, जबकि नई दिल्ली और उत्तर-पश्चिम जिलों में तीन-तीन मतगणना केंद्र होंगे.
चुनाव आयोग के अनुसार बुधवार को 60.54 प्रतिशत मतदान हुआ. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया है कि उनकी पार्टी करीब 50 सीटें जीतेगी. आप ने एग्जिट पोल के अनुमानों को खारिज करते हुए कहा है कि वह फिर से सरकार बनाएगी और उसके संयोजक केजरीवाल चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे.
दिल्ली की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एलिस वाज ने कहा कि मतगणना पर्यवेक्षकों, मतगणना सहायकों, माइक्रो-ऑब्जर्वर और प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित सहायक कर्मचारियों सहित कुल 5,000 कर्मियों को शनिवार को मतगणना के लिए तैनात किया जाएगा.
मतगणना प्रक्रिया की निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स) का यादृच्छिक चयन किया जाएगा.
19 मतगणना केंद्रों के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है, जिसमें प्रत्येक केंद्र पर दो अर्धसैनिक बलों की कंपनियों सहित 10,000 पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं.
विशेष पुलिस आयुक्त देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने मतगणना के दिन की सुरक्षा व्यवस्था पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमने (मतगणना के दिन के लिए) कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं. केवल अधिकृत कर्मियों को ही मतगणना केंद्रों के अंदर जाने की अनुमति होगी, जहां मोबाइल फोन का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा."
एक बढ़ते विवाद के बीच उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शुक्रवार को आप नेताओं के इन आरोपों की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से जांच कराने का आदेश दिया कि भाजपा ने उनके उम्मीदवारों को 15 करोड़ रुपये और मंत्री पद की पेशकश कर अपने पाले में करने का प्रयास किया था.
आप नेताओं ने भाजपा पर एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों के आधार पर उनके पक्ष में भ्रम पैदा करने का प्रयास करने तथा जीत की संभावना वाले आप उम्मीदवारों को अपने पक्ष में करने का आरोप लगाया है.
भाजपा ने मांग की है कि आप अपने आरोप वापस ले और माफी मांगे अन्यथा कानूनी कार्रवाई का सामना करें. दिल्ली भाजपा के महासचिव विष्णु मित्तल ने भी उपराज्यपाल को पत्र लिखकर आप के आरोपों की एसीबी जांच कराने का अनुरोध किया है.
इससे पहले शुक्रवार को केजरीवाल ने सभी पार्टी उम्मीदवारों के साथ बैठक की और दावा किया कि आप अपनी सरकार बनाएगी. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष एग्जिट पोल का इस्तेमाल कर "मनोवैज्ञानिक दबाव" बना रहा है और "ऑपरेशन लोटस" को अंजाम देने का प्रयास कर रहा है.
बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए वरिष्ठ आप नेता गोपाल राय ने कहा कि केजरीवाल के मार्गदर्शन में सभी उम्मीदवारों ने अपनी जमीनी रिपोर्ट पेश की, जिससे संकेत मिलता है कि आप 50 से अधिक सीटों पर निर्णायक जीत हासिल करने के लिए तैयार है, जबकि 7-8 सीटों पर कड़ी टक्कर है.
आप ने 2015 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों को हराकर दिल्ली के राजनीतिक मानचित्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया था और 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत हासिल की थी. पार्टी ने 2020 में फिर से अपनी सरकार बनाई, 62 सीटें जीतीं और विपक्षी भाजपा और कांग्रेस को हराया.
आप की जीत से दिल्ली में केजरीवाल का प्रभुत्व स्थापित होगा और राष्ट्रीय स्तर पर उनका राजनीतिक कद बढ़ेगा. हालांकि, अगर भाजपा चुनाव जीत जाती है, तो वह न केवल 26 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद दिल्ली की सत्ता में वापस आएगी, बल्कि वह आप और केजरीवाल के जादू को भी तोड़ने में सफल होगी, जिसे वह एक दशक से हासिल करने की कोशिश कर रही है.
2013 तक लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस पिछले दो चुनावों में एक भी सीट जीतने में विफल रहने के बाद वापसी की कोशिश कर रही है.
(इस खबर को सलाम हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)