रेपो रेट के अलावा RBI के MPC बैठक में क्या कुछ हुआ? जानें भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

आरबीआई ने भारत के पहले के इंफ्लेशन अनुमान को 4.2% से घटाकर अब 4% कर दिया है. वहीं भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4 अप्रैल, 2025 तक 676.3 बिलियन डॉलर था. इसका मतलब है कि आयात को लगभग 11 महीनों तक कवर किया जा सकता है.

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Courtesy: Social Media

RBI MPC: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साल में दूसरी बार रेपो रेट में कटौती किया गया है. इस कटौती का उद्देश्य डोनाल्ड ट्रंप के व्यापक टैरिफ प्रभाव के कारण धीमी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है. RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है.

डोनाल्ड ट्रंप के वैश्विक स्तर पर लगाए गए टैरिफ ने आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित करने वाली अनिश्चितताओं को बढ़ा दिया है. जिससे वैश्विक विकास और मुद्रास्फीति के लिए नई बाधाएं पैदा हो रही हैं. RBI MPC घोषणाओं से शीर्ष 5 निष्कर्ष कुछ इस प्रकार है. 

25 BPS की कटौती 

RBI ने रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे पहले के 6.25% से घटाकर 6% कर दिया. राष्ट्रीय बैंक द्वारा यह लगातार दूसरी दर कटौती है, इससे पहले फरवरी में भी 25 आधार अंकों की कटौती की गई थी. उससे पहले 2020 में रेपो रेट कम हुआ था. 

जीडीपी फॉरकास्ट पूर्वानुमान

आरबीआई द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी फॉरकास्ट के पूर्वानुमान को 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है. पहली तिमाही का पूर्वानुमान अब 6.5%, है. दूसरी का 6.7%, तीसरी तिमाही के लिए 6.6% और चौथी तिमाही के लिए 6.3% रहने का अनुमान जताया गया है. फरवरी में मौद्रिक नीति निर्णय घोषणा के दौरान पहली तिमाही का अनुमान 6.7%, दूसरी तिमाही का अनुमान 7% और तीसरी तिमाही और चौथी तिमाही दोनों के लिए 6.5% जताया गया था.

इंफ्लेशन अनुमान

आरबीआई ने भारत के पहले के इंफ्लेशन अनुमान को 4.2% से घटाकर अब 4% कर दिया है. पहली तिमाही का अनुमान अब 3.6% है, दूसरी तिमाही का 3.9%, तीसरी तिमाही का 3.8% और चौथी तिमाही का थोड़ा अधिक 4.4% है.

न्यूट्रल टू अकोमोडेटिव

आरबीआई ने अपना रुख तटस्थ से बदलकर 'समायोज्य' कर लिया है. जिसका मतलब है कि अब वह नरम ब्याज दरों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

विदेशी मुद्रा भंडार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4 अप्रैल, 2025 तक 676.3 बिलियन डॉलर था. इसका मतलब है कि आयात को लगभग 11 महीनों तक कवर किया जा सकता है. यह एक महत्वपूर्ण घोषणा है क्योंकि यह ऐसे समय में आई है जब अमेरिका के साथ वैश्विक टैरिफ युद्धों से दुनिया की अर्थव्यवस्था को झटका लगने की उम्मीद है.