Manmohan Singh Integrity: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर, 20204 को निधन हो गया था. तब से लेकर अब तक उनके जीवन से जुडे़ किस्से कहानियां लगातार सामने आ रहे है. इस कड़ी में अब डॉ मनमोहन सिंह से जुड़ा एक ऐसा किस्सा सामने आया है.
राजदीप सरदेसाई ने शेयर किया किस्सा
सोशल मीडिया पर इस किस्से को वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने शेयर किया है. उन्होनें अपने पर दिवंगत मशहूर लेखक खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह के शब्दों में एक पुराना किस्सा शेयर किया है. इस पोस्ट में राहुल सिंह के हवाले से लिखा गया है, मैं आपके साथ एक ऐसा किस्सा शेयर करने जा रहा हूं जिसे मेरे पिता बताना पसंद करते थे. ताकि यह पता चल सके कि डॉ मनमोहन सिंह कितने असाधारण प्रधानमंत्री और राजनेता थे.
Another Dr Manmohan Singh anecdote that tells you much about his persona. This from Rahul Singh, former editor and son of Khushwant Singh.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) January 2, 2025
Folks, in the tributes being paid to Dr Manmohan Singh, let me add a true anecdote my father liked…
1999 का चुनाव
बात 1999 की है जब डॉ मनमोहन सिंह दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लडे़ थे. उस दौरान उनके भाई इलेक्शन कैंपेन के लिए चंदा जुटा रहे थे. वह मेरे पिता खुशवंत सिंह से मिलने आए. जहां तक मुझे याद हैं मेरे पिता उन्हें करीब एक लाख रूपय दिए थे. हालांकि चुनाव में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा.
जेब से एक लिफाफा निकाला
चुनाव के कुछ दिन बाद मेरे पिता को डॉ मनमोहन सिंह का फोन आया और उन्होंने पूछा की क्या वे उनसे मिलने आ सकता है. मेरे पिता ने हां कहा. खुशवंत सिंह से मिलते ही, सामान्य बात चित के बाद, डॉ मनमोहन सिंह बोले, मुझे लगता है कि मेरे भाई को आपने कुछ पैसे दिए थे. मेरे पापा ने इसे अनदेखा किया, लेकिन डॉ मनमोहन सिंह ने जेब से एक लिफाफा निकाला और मेरे पिता के हाथ मे थमा दिया. उन्होंने कहा मैं आपसे पैसे लौटा रहा हूं.
कौन राजनेता ऐसा करेगा.
राहुल सिंह ने कहा कि मेरे पिता दोस्तों से कहते थे कि कौन राजनेता ऐसा करेगा, डॉ मनमोहन सिंह ऐसे ही व्यक्ति थे, पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ देश के लिए समर्पित और विनम्रता से भरे हुए थे. उन्होनें आगे कहा कि जो लोग मनमोहन सिंह को नही जानते थे, उन्हें भी उनके निधन से व्यक्तिगत क्षति महसूस हुई है. हम सभी को उनकी कमी खलेगी.