'अजमेर दरगाह नहीं शिव मंदिर है वो, तहखाने में है भोलेनाथ की छवि', हिंदू सेना ने कोर्ट में याचिक दायर कर की ये मांग

Ajmer Dargah: अजमेर के डिस्ट्रिकट कोर्ट में याचिका दायर करके ऐतिहासिक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को शिव मंदिर घोषित करने की मांग की गई है.

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Courtesy: Social Media

Ajmer Dargah: हिंदू सेना की ओर से अजमेर के डिस्ट्रिकट कोर्ट में याचिक दायर कर ऐतिहासिक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को 'भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर' घोषित किए जाने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि दरगाह को शिव मंदिर के ऊपर बनाया गया है. इसके तहखाने में भगवान भोलेनाथ की छवि होने की बात कही गई है. 

हिंदू सेना की ओर से दायर याचिका में अजेमर दरगाह के परिसर में बने अवैध कब्जे को हटाने की भी मांग की गई है. इस मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर को हो सकती है. याचिका में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह की पुरातत्व सर्वेक्षण करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. हिंदू सेना की ओर से दायक की गई इस याचिका के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों में आक्रोश का माहौल है. 

मुख्य द्वार का डिजाइन हिंदू संरचना जैसा

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इस याचिका को दायर किया है. उन्होंने दावा किया है कि दरगाह का मुख्य प्रवेश द्वारा पर बनी छत का डिजाइन हिंदू संरचना जैसा दिखाई देता है. यह इस बात को दर्शाता है कि यह स्थल हिंदू देवी देवताओं से जुड़ा है. मुख्य द्वारा पर की गई नक्काशी दुर्भाग्य से र और सफेदी के कारण दिख नहीं रही हैं. रंग और सफेदी को हटाने के बाद इसकी वास्तविक पहचान की जा सकती है. 

हिंदू करते थे भगवान शिव की पूजा

याचिका में कहा गया है कि ऐसा कोई भी रिकॉर्ड नहीं है जो यह बताता हो कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह खाली जमीन पर बनाया गया हो. ऐतिहासिक विवरण बताते हैं कि दरगाह पर महादेव का मंदिर और जैन मंदिर था. यहां हिंदू भक्त अपने भगवान की पूजा किया करते थे. इसलिए इस स्थल को श्री संकटमोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाए और इसके पुर्ननिर्माण का निर्देश दिया जाए. 

दायर मुकदमे में ये भी दावा किया गया है कि इसके तहखाने में महादेव की छवि भी है. ये छवि उस जगह पर है जहां ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को दफनाया गया था.

मोहम्मद गौरी के साथ भारत आए थे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती

हिंदू सेनी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती मोहम्मद गौरी के साथ 12-13वीं में भारत आए थे. पृथ्वीराज चौहान की हत्या करने के बाद इन्होंने संकट मोचन महादेव मंदिर सहित कई मंदिरों को नष्ट कर दिया था. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने हिंदू धर्म के लोगों की आस्था के साथ उस दौरान बहुत बड़ा खिलवाड़ किया था. 

मुस्लिम संगठन के लोगों ने क्या कहा?

 ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को इस्माल धर्म में सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है. ऐसे में हिंदू सेनी की ओर से दायर की गई याचिका को लेकर दरगाह के खादिमों (पुजारियों) के संगठन अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने तिखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस दावे को तुच्छ बताते हुए कहा कि इस दावे ने  हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मावलंबियों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को कायरता समझना भूल होगी. 

क्या बोले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी

इस घटनाक्रम पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि ये वही दरगाह है जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल चादर भेजते हैं. हिंदू सेनी की ओर से दायर की गई यह याचिका  उपासना स्थल अधिनियम (विशेष प्रावधान), 1991 का खुला उल्लंघन है. ऐसा करने वालों को भारतीय जनता पार्टी का खुला समर्थन प्राप्त है. यह खुले तौर पर सूफीवाद के अनुयायियों की गरिमा पर हमाल है.