Shahjahanpur News: शाहजहांपुर में 8 जनवरी को उच्चतम न्यायालय द्वारा आसाराम को स्वास्थ्य कारणों से पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिए जाने के बाद, शाहजहांपुर जिले में पीड़िता के घर की सुरक्षा को मजबूत कर दिया गया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. यौन उत्पीड़न के मामले में सजा भुगत रहे आसाराम को उच्चतम न्यायालय ने स्वास्थ्य कारणों से 31 मार्च 2025 तक की पैरोल दी है.
शाहजहांपुर की एक नाबालिग लड़की से आसाराम ने 2013 में जोधपुर स्थित आश्रम में दुष्कर्म किया था. पीड़िता के पिता ने अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और न्यायालय के आदेश पर आश्चर्य व्यक्त किया. इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) संजय कुमार सागर ने बुधवार को बताया कि आसाराम को पैरोल मिलने के बाद, वह खुद पीड़िता के घर गए और उनके परिजनों से बातचीत की.
सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया
पीड़िता के घर पर पहले से ही पुलिस का एक गार्ड तैनात है. इसके अलावा, पीड़िता के पिता के पास एक सशस्त्र सुरक्षाकर्मी भी है. उन्होंने बताया कि इसके बावजूद, अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जा रहा है और संबंधित थाना व क्षेत्राधिकारी को भी पीड़िता के परिवार की सुरक्षा के लिए जरूरी निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही, पीड़िता के घर और आसपास के खराब सीसीटीवी कैमरों को सुधारने के आदेश दिए गए हैं और पीड़िता के पिता से कहा गया है कि वे घर से बाहर जाने से पहले सूचना दें.
उन्होंने कहा कि यह एक प्रमुख मामला है, इसलिए हम पीड़िता के परिवार की सुरक्षा पर लगातार निगरानी रख रहे हैं. वहीं, पीड़िता के पिता ने बताया कि आसाराम को अंतरिम जमानत (पैरोल) मिलने की सूचना पाकर वे हैरान रह गए और उनकी नींद उड़ गई. अब उन्हें अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता सता रही है. उन्होंने यह भी दावा किया कि जब आसाराम जेल में था, तब चार गवाहों राजकोट के अमृत प्रजापति, अखिल गुप्ता (रसोईया), राहुल सचान (लखनऊ) और शाहजहांपुर के कृपाल सिंह की हत्या कर दी गई थी.
आसाराम पर न्यायालय मेहरबान
पीड़िता के पिता ने बताया कि आसाराम ने जेल से अपने समर्थकों के माध्यम से जम्मू, जोधपुर, दिल्ली और सूरसागर में उनके खिलाफ चार झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि दो गवाह, भोलानंद और सुरेशानंद, अब तक लापता हैं. पीड़िता के पिता ने कहा कि केंद्र सरकार संसद में यह कानून बनाए कि नाबालिगों पर अत्याचार के मामलों में फांसी की सजा हो, लेकिन आसाराम के मामले में न्यायालय बार- बार मेहरबानी दिखा रहा है. पीड़िता के पिता ने दिल्ली में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद न्यायालय ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, हालांकि अब उसे पैरोल पर रिहा कर दिया गया है.