'सुपर फ्लॉप थी...', बिहार में शराब से 33 मौतों के बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर साधा निशाना

Bihar liquor Ban: बिहार में शराब से हुई 33 मौतों के बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा और कहा, शराबबंदी सुपर फ्लॉप प्रोजेक्ट रहा है. ऐसे में ये भ्रष्टाचार एक छोटा सा उदाहरण है. बिहार में इससे भी ज़्यादा अपराध हो रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार से सीधा सवाल करते हुए कहा कि हर दिन इतनी शराब जब्त हो रही है, इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा?

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Courtesy: Social Media

Bihar liquor Ban: बिहार में जहरीली शराब पीने से 33 लोगों की मौत के बाद, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया है. शुक्रवार को उन्होंने एक्स पर ट्वीट करते हुए बिहार में शराबबंदी की असफलता के लिए नीतीश कुमार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और इसे संस्थागत भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया .

ये तो भ्रष्टाचार का एक छोटा उदाहरण है

तेजस्वी यादव ने लिखा कि शराबबंदी नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार का एक छोटा उदाहरण है. अगर शराबबंदी लागू की गई है, तो इसे सही तरीके से लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन मुख्यमंत्री की कमजोर इच्छाशक्ति, नीतियों की उलझन और अधिकारियों पर निर्भरता के कारण, बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से विफल हो गई है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नेताओं, पुलिस और शराब माफिया के गठजोड़ के चलते बिहार में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध शराब व्यापार चल रहा है. तेजस्वी यादव ने कहा कि  शराबबंदी के बावजूद, बिहार में 3.46 करोड़ लीटर शराब बरामद की गई है. एक ईमानदार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, इसमें भी घोटाला है, क्योंकि जब शराब से भरा कोई ट्रक राज्य में आता है, तो पुलिस उसे जब्त करने का नाटक करती है.

नीतीश कुमार से सीधा सवाल पूछा 

तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से सीधा सवाल किया कि हर साल इतनी ज्यादा शराब जब्त होने के लिए कौन जिम्मेदार है, और शराब से जुड़े अपराधों में पकड़े गए ज्यादातर लोग गरीब और हाशिए के समुदायों से क्यों होते हैं? उन्होंने कहा कि शराबबंदी का असली नुकसान गरीबों और दलितों को हो रहा है, जबकि माफिया और अमीर लोग बच निकलते हैं.

 

इसी दौरान, अवैध शराब से जुड़ी दो हालिया घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जिसमें सीवान में 28 और सारण में 5 लोगों की मौत हो गई है. सीवान में 79 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से 13 गंभीर रूप से बीमार मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पटना के पीएमसीएच अस्पताल भेजा गया है.

इन घटनाओं ने एक बार फिर राज्य में शराबबंदी की सफलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. शराबबंदी की नीति का मकसद राज्य को शराब से मुक्त बनाना था, लेकिन शराब माफियाओं, पुलिस और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह योजना असफल हो रही है.