'150 से ज्यादा देशों में एक्टिव...', 99 साल पुराना संगठन और नूंह में जलसा

हरियाणा के नूंह में 19 अप्रैल 2025 से तब्लीगी जमात का तीन दिवसीय जलसा शुरू हो रहा है, जो 21 अप्रैल तक चलेगा. इस आयोजन में मौलाना हजरत साद कांधलवी हिस्सा लेंगे और हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. आइए, जानते हैं कि तब्लीगी जमात क्या है और इसका उद्देश्य क्या है.

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Tablighi Jamaat: हरियाणा के नूंह में 19 अप्रैल 2025 से तब्लीगी जमात का तीन दिवसीय जलसा शुरू हो रहा है, जो 21 अप्रैल तक चलेगा. इस आयोजन में मौलाना हजरत साद कांधलवी हिस्सा लेंगे और हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. आइए, जानते हैं कि तब्लीगी जमात क्या है और इसका उद्देश्य क्या है.

तब्लीगी जमात की स्थापना

तब्लीगी जमात की नींव 1926 में भारत के मेवात में देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलियास कांधलवी ने रखी थी. उनका लक्ष्य था मुस्लिम समुदाय को इस्लाम की सही शिक्षाओं से जोड़ना और “सच्चे मुसलमान” बनने की प्रेरणा देना. संगठन का नारा, “ऐ मुसलमानों, सच्चे मुसलमान बनो,” इसके मिशन को दर्शाता है. ब्रिटिश भारत में यह संगठन तेजी से बढ़ा और 1941 के सम्मेलन में 25,000 लोग शामिल हुए. आज यह 150 से अधिक देशों में मौजूद है, जिसमें बांग्लादेश में इसकी सबसे बड़ी शाखा है.

संगठन का उद्देश्य

तब्लीगी जमात का ध्यान गैर-मुस्लिमों को इस्लाम में शामिल करने पर नहीं, बल्कि मुस्लिमों को इस्लाम की शुद्ध प्रथाओं की ओर ले जाने पर है. यह संगठन पैगंबर मोहम्मद के जीवन को आदर्श मानकर उनके जैसे कपड़े पहनने, दाढ़ी रखने और धार्मिक जीवन जीने पर जोर देता है. छोटी-छोटी जमातें बनाकर ये दुनिया भर में मुस्लिम घरों और मस्जिदों में इस्लाम का संदेश फैलाते हैं.

नेतृत्व और वैश्विक प्रभाव

वर्तमान में मौलाना साद कांधलवी, जो संस्थापक के पौत्र हैं, संगठन के अमीर हैं. इसका ढांचा लचीला है, जिसमें एक शूरा परिषद सलाहकार की भूमिका निभाती है. हालांकि, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान जैसे कुछ देशों में इसके उपदेशों को चरमपंथी मानकर प्रतिबंधित किया गया है. नूंह का जलसा तब्लीगी जमात की सक्रियता और एकजुटता का प्रतीक है. यह आयोजन मुस्लिम समुदाय को धार्मिक जागरूकता और एकता का संदेश देगा.