Mauni Amavasya: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम तट पर मची भगदड़ में करीब 30 लोगों की मौत के कुछ ही घंटों बाद एक और दुखद घटना घटी. झूसी घाट पर मची इस दूसरी भगदड़ में एक बच्चे समेत सात लोगों की जान चली गई. कल्पवासी थाने के सर्किल ऑफिसर रुद्र कुमार सिंह ने घटना की पुष्टि की है. रुद्र कुमार सिंह के मुताबिक, यह हादसा झूसी घाट पर हुआ, जो संगम के मुहाने से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित है. सिंह ने एचटी को बताया कि झूसी में अत्यधिक भीड़ के दबाव के कारण सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.
प्रशासन ने साधी चुप्पी
हैरानी की बात यह है कि राज्य प्रशासन ने इस दूसरी भगदड़ पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया. शाम 7 बजे जब जिलाधिकारी महाकुंभ नगर विजय किरण आनंद और मेला डीआईजी वैभव कृष्ण ने पहली भगदड़ में हुई 30 मौतों की पुष्टि की, तब भी इस दूसरी घटना का जिक्र नहीं किया गया. एचटी द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवालों पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.
चश्मदीदों का बयान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बुधवार सुबह करीब 6 बजे सेक्टर 18 के घाट पर स्नान के बाद लौट रहे श्रद्धालु झूसी की ओर बढ़ रहे थे, तभी उनका सामना दूसरी दिशा से आ रही भीड़ से हुआ. धीरे-धीरे भीड़ इतनी बढ़ गई कि वहां अफरा-तफरी मच गई.
स्थानीय बिजली उपकेंद्र मुक्ति मार्ग में काम करने वाले सुरेश बिंद ने बताया कि दोपहर 2 बजे से कुछ पहले करीब 35 मिनट तक भारी अव्यवस्था रही. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोग हिल भी नहीं पा रहे थे. कई लोग बिजली उपकेंद्र में घुस गए और उपकरणों को नुकसान पहुंचाया. स्थिति को देखते हुए 400 केवीए का ट्रांसफार्मर बंद करना पड़ा ताकि कोई करंट की चपेट में न आए.
SHO ने स्थिति संभालने की कोशिश की
इस भगदड़ में तीन महिलाओं और एक तीन वर्षीय बच्चे सहित सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि दर्जनों गंभीर रूप से घायल हो गए. सुरेश बिंद के अनुसार, मृतकों के शव उपकेंद्र के गेट के पास पड़े थे. काल्पवासी थाने के एसएचओ अजब सिंह ने बताया कि उन्हें घटना की सूचना बुधवार दोपहर 2 बजे मिली, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति संभालने की कोशिश की.
SHO ने कहा भीड़ को नियंत्रित करते समय हमें जानकारी मिली कि कुछ लोग नीचे गिर गए थे और उठ नहीं पा रहे थे. हमने तत्काल एंबुलेंस बुलाई और घायलों को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उनके हालात के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल पाई.
मृतकों की पहचान जारी
सर्कल अधिकारी रुद्र कुमार सिंह ने बताया कि मृतकों के गृह जिले का पता लगा लिया गया है, लेकिन उनके नामों को लेकर अभी भी स्पष्टता नहीं है. शवों को पहचान के बाद परिजनों को सौंप दिया जाएगा. बुधवार को माघ मास की मौनी अमावस्या थी,जिसे महाकुंभ के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है. इस दिन गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने के लिए करीब 7.65 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे.