Air Pollution: देश के कई हिस्सों में बढ़ता प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि यह स्वास्थ्य समस्याओं का भी बड़ा कारण बनता जा रहा है. खासकर, नाक की एलर्जी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. प्रदूषण में मौजूद हानिकारक कण सांस के जरिए नाक में पहुंचकर जलन, खुजली और अन्य एलर्जी का कारण बनते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ खास समूह के लोगों को नाक की एलर्जी का ज्यादा खतरा रहता है.
किन लोगों को है ज्यादा खतरा?
1. बच्चे और बुजुर्ग
बच्चों और बुजुर्गों की इम्युनिटी कमजोर होती है, जिससे प्रदूषण का प्रभाव उन पर जल्दी पड़ता है. ये समूह नाक की एलर्जी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं.
2. अस्थमा और श्वसन रोगी
जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य श्वसन समस्याएं हैं, उन्हें प्रदूषण में नाक की एलर्जी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
3. आउटडोर काम करने वाले लोग
जो लोग अधिकतर समय बाहर काम करते हैं, जैसे ट्रैफिक पुलिस, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स या डिलीवरी पार्टनर्स, उन्हें प्रदूषण का सीधा प्रभाव झेलना पड़ता है.
4. धूल और धुएं के संपर्क में रहने वाले लोग
फैक्ट्री वर्कर्स, सफाई कर्मचारी या अन्य ऐसे लोग, जो धूल और धुएं के संपर्क में रहते हैं, उन्हें नाक की एलर्जी का अधिक खतरा होता है.
कैसे करें बचाव?
प्रदूषण से नाक की एलर्जी का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन सावधानी और सही उपाय अपनाकर इसे काफी हद तक टाला जा सकता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, खासतौर पर संवेदनशील समूहों को सतर्क रहना चाहिए.