Tradition of drinking Wine: शराब के साथ खाने को “चखना” क्यों कहा जाता है, यह सवाल अक्सर हमारे मन में आता है. दरअसल, चखना शब्द खासतौर पर उन स्नैक्स या खाद्य पदार्थों के लिए इस्तेमाल होता है, जो शराब के साथ खाए जाते हैं. यह किसी भी रूप में हो सकते हैं, जैसे मूंगफली, नमकीन, बिस्कुट, पनीर या पकोड़ी. चखना का उद्देश्य सिर्फ पेट भरना नहीं होता, बल्कि शराब के स्वाद को और अधिक निखारना होता है. यह शब्द दशकों से प्रचलन में है और आज भी इसका उपयोग हर वर्ग में होता है.
चखने का इतिहास
चखने की परंपरा का इतिहास बेहद पुराना है. इसका आरंभ पश्चिमी देशों, खासतौर पर यूरोप में हुआ था. पुराने समय में जब लोग शराब पीते थे, तो साथ में हल्का-फुल्का खाना भी खाया करते थे. इसका उद्देश्य शराब के प्रभाव को संतुलित करना और उसका स्वाद बेहतर बनाना था. धीरे-धीरे यह परंपरा पूरी दुनिया में फैल गई और इसे “चखना” का नाम दिया गया. भारत में भी यह परंपरा लोकप्रिय हुई और हर राज्य में चखने का अपना अलग रूप देखने को मिलता है.
शराब के साथ चखने की जरूरत क्यों?
शराब के साथ चखने का वैज्ञानिक और सामाजिक, दोनों ही महत्व है. चखना न सिर्फ शराब के स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि पेट पर शराब के प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है. इसके अलावा, चखना खाने से शराब का अरोमा यानी खुशबू बेहतर तरीके से महसूस होती है. नमकीन, मसालेदार और खट्टे चखने आमतौर पर शराब के साथ खाए जाते हैं, जो शराब के स्वाद को संतुलित करते हैं.
भारत में हर क्षेत्र के हिसाब से चखने की वैरायटी अलग है. उत्तर भारत में तंदूरी पनीर और पकोड़ी प्रसिद्ध हैं, जबकि दक्षिण भारत में मसालेदार भुनी मछली और सूखे मेवे लोकप्रिय हैं. वहीं, शहरी इलाकों में लोग मूंगफली, पापड़ और स्नैक्स का आनंद लेते हैं.