Mahashivratri 2025: जानिए भगवान शिव का सबसे ऊंचा मंदिर, महाशिवरात्री पर कर आएं दर्शन

इस साल महाशिवरात्रि का पवित्र पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा. शिव उपासकों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. इस अवसर पर हम आपको भगवान शिव के सबसे ऊंचे मंदिर, तुंगनाथ के बारे में बताते हैं, जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.

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Courtesy: social media

Mahashivratri 2025: इस साल महाशिवरात्रि का पवित्र पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा. शिव उपासकों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. इस अवसर पर हम आपको भगवान शिव के सबसे ऊंचे मंदिर, तुंगनाथ के बारे में बताते हैं, जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. 

दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर

तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है. यह समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर (12,073 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. तुंगनाथ मंदिर, पंच केदार तीर्थ स्थलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस मंदिर तक पहुँचने के लिए पहले सोनप्रयाग पहुंचना होता है, इसके बाद गुप्तकाशी, उखीमठ और चोपटा होते हुए तुंगनाथ मंदिर तक पहुँचा जा सकता है.

महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

तुंगनाथ मंदिर का शाब्दिक अर्थ ‘पहाड़ों के भगवान’ होता है. इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की नींव अर्जुन ने रखी थी. ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था. महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने रिश्तेदारों और गुरुओं का वध किया था, जिसके कारण उन पर पाप था. ऋषि व्यास ने उन्हें सलाह दी थी कि भगवान शंकर की पूजा करने से उनके पाप नष्ट हो जाएंगे.

भगवान शंकर के हाथ का प्रतीक

तुंगनाथ मंदिर को भगवान शिव के हाथ का प्रतीक माना जाता है. यह पंच केदार स्थलों में से एक है, जिसमें केदारनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर भी शामिल हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन तुंगनाथ मंदिर के दर्शन से सभी पापों का नाश होता है.

महाशिवरात्रि पर तुंगनाथ मंदिर की महत्ता

महाशिवरात्रि के अवसर पर तुंगनाथ मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को विशेष पुण्य मिलता है. यदि आप भी इस महापर्व पर भगवान शिव के दर्शन करने का विचार कर रहे हैं, तो तुंगनाथ मंदिर अवश्य जाएं और भगवान शंकर की पूजा करें.