Ruby Dhalla: रूबी ढल्ला एक भारतीय-कनाडाई नेता हैं, जो पहले लिबरल पार्टी की सांसद रह चुकी हैं. वह कनाडा में प्रधानमंत्री बनने की रेस में शामिल थीं, लेकिन हाल ही में उन्हें पार्टी से अयोग्य ठहरा दिया गया. यह घटनाक्रम मीडिया में लीक होने के बाद चौंकाने वाला बन गया, और रूबी ढल्ला ने सोशल मीडिया पर अपनी निराशा व्यक्त की.
रूबी ढल्ला ने क्या कहा?
रूबी ढल्ला ने एक्स (Twitter) पर एक पोस्ट के जरिए इस बारे में बताया कि उन्हें लिबरल पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री पद के चुनाव के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया है. उन्होंने इसे "चौंकाने वाला और निराशाजनक" करार दिया और आरोप लगाए कि उन पर बार-बार झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं. ढल्ला ने कहा, "एक दिन विदेशी हस्तक्षेप, एक दिन अभियान का उल्लंघन. मैं कनाडावासियों के लिए खड़ा रहना और उनके लिए लड़ना जारी रखूंगी."
आरोपों की क्या है सच्चाई?
लिबरल पार्टी के नेशनल डायरेक्टर आजम इश्माएल ने कहा कि ढल्ला ने पार्टी के नेतृत्व और चुनाव से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया था. 10 उल्लंघन की पहचान की गई, जिनमें चुनावी वित्तीय मुद्दे, मटेरियल तथ्यों का छुपाना और गलत वित्तीय रिपोर्टिंग शामिल हैं. इसके अलावा, एक आरोप यह था कि ढल्ला ने अपने अभियान में एक गैर-कनाडाई नागरिक को शामिल किया था और इसका खुलासा नहीं किया था, जिससे विदेशी हस्तक्षेप का खतरा हो सकता है.
डोनेशन में गड़बड़ी के आरोप भी उठे थे, जिसके बाद पार्टी ने उनके चुनाव अभियान से जुड़े 21,000 डॉलर के डोनेशन को रोक दिया है. इसमें यह जांच भी चल रही है कि 12 डोनेशन करने वाले लोगों ने कानूनी सीमा से अधिक योगदान किया है या नहीं.
विदेशी हस्तक्षेप का विवाद
रूबी ढल्ला के अभियान को लेकर विदेशी हस्तक्षेप का मुद्दा तब सामने आया जब द ग्लोब एंड मेल ने इस पर रिपोर्ट की. लिबरल पार्टी ने ढल्ला से भारत सरकार द्वारा संभावित हस्तक्षेप के बारे में पूछताछ की थी, हालांकि ढल्ला ने इन आरोपों को नकारा था.
रूबी ढल्ला का राजनीतिक सफर
रूबी ढल्ला का जन्म विन्निपेग, कनाडा में हुआ था और वह वहीं पली-बढ़ीं. उन्होंने 2004 से 2011 तक ब्रैम्पटन-स्प्रिंगडेल का प्रतिनिधित्व किया. वह पॉल मार्टिन के नेतृत्व में राजनीति में आईं और एक हाड वैद्य (Chiropractor) और उद्यमी के रूप में भी काम करती थीं. रूबी ढल्ला के लिए यह समय काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन पर पार्टी से जुड़े गंभीर आरोप लगाए गए हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे यह विवाद किस दिशा में जाता है और क्या ढल्ला अपनी राजनीतिक यात्रा को फिर से शुरू कर पाती हैं.