US debt crisis: अमेरिका में नई सरकर बनने के बाद ट्रेड सबसे ज्यादा सुर्खियों में है, ऐसे में चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है. अमेरिका ने चीन पर जैसे ही बैन लगाया, उसके कुछ देर बाद ही चीन ने यूएसए पर बड़ा बयान दे दिया. चीन ने जर्मेनियम, एंटीमनी और गैलियम के निर्यात पर रोक लगा दिया है. अब ऐसे में पहले से ही कर्ज में जूझ रहा अमेरिका के लिए संकट और भी बढ़ गया है. अभी अमेरिका इससे निकलने का प्लान बना ही रहा था कि तब तक और और संकट मंडराने लगा. आइए जानते है पूरा मामला.
अमेरिका पर बढ़ता कर्ज
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका पर कर्ज का बोझ चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका का कुल कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर, यानी देश की जीडीपी का लगभग 125 प्रतिशत है. मौजूदा जीडीपी 27 ट्रिलियन डॉलर है. इस बढ़ते कर्ज से वित्तीय स्थिरता और दीर्घकालिक विकास के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी हो रही हैं.
ब्याज भुगतान की बड़ी समस्या
अमेरिका को हर साल कर्ज के ब्याज के रूप में 1.12 अरब डॉलर चुकाने पड़ रहे हैं. यह सरकार की कुल आय का 18 प्रतिशत है, जो शिक्षा, शोध और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च से भी अधिक है. फेडरल बजट का बड़ा हिस्सा सोशल सिक्योरिटी, मेडिकेयर और हेल्थकेयर पर खर्च होता है, लेकिन ब्याज का बोझ अब इन प्राथमिकताओं को पीछे छोड़ चुका है.
एलन मस्क के हाथों नई जिम्मेदारी
कर्ज के जाल से निकलने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया विभाग बनाया और इसकी जिम्मेदारी एलन मस्क को सौंपी है. यदि मस्क इस संकट से अमेरिका को बाहर निकालने में सफल होते हैं, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक बदलाव लाएगा. फिच ने अगस्त 2023 में अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग AAA से घटाकर AA+ कर दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को खर्च और राजस्व पर ध्यान देना होगा. अमेरिका के सामने न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियां भी हैं. इस संकट से निपटने के लिए वित्तीय अनुशासन और सतत विकास की जरूरत है.