US elections: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) जारी कर संघीय चुनाव प्रक्रिया में व्यापक बदलाव की घोषणा की है. इस नए नियम के तहत अब मतदाता पंजीकरण के लिए अमेरिकी नागरिकता का दस्तावेजी प्रमाण देना अनिवार्य होगा.
ट्रंप ने इस बदलाव के पीछे चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता को मजबूत करने का उद्देश्य बताया है. खास बात यह रही कि इस दौरान उन्होंने भारत के मतदाता पहचान सिस्टम की सराहना की.
भारत और ब्राजील से लिया उदाहरण
ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेश में कहा कि अमेरिका स्वशासन वाला अग्रणी देश होने के बावजूद अमेरिकी चुनाव में बुनियादी और जरूरी सुरक्षा मुहैया कराने में असफल रहा है. उदाहरण के लिए भारत और ब्राजील मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका नागरिकता के लिए काफी हद तक सेल्फ अटेस्टेशन पर निर्भर है.
उन्होंने भारत जैसे देशों के तकनीकी दृष्टिकोण को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया. नए नियमों के तहत अब मतदाताओं को पासपोर्ट या जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे.
DOGE के साथ साझा
इस आदेश के तहत मेल-इन बैलट को लेकर भी सख्ती की गई है. अब चुनाव दिवस के बाद प्राप्त मतपत्र मान्य नहीं होंगे. साथ ही, राज्यों को अपनी मतदाता सूचियों को होमलैंड सिक्योरिटी विभाग और सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के साथ साझा करना होगा. नियमों का पालन न करने वाले राज्यों की संघीय सहायता में कटौती की चेतावनी भी दी गई है.
कानूनी विवाद की आशंका
यह कदम कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकता है, क्योंकि चुनाव नियम बनाने का अधिकार मुख्य रूप से कांग्रेस और राज्यों के पास है. आलोचकों ने इसे 'गैरकानूनी' करार देते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यक और गरीब मतदाताओं के लिए बाधा बन सकता है. वहीं, समर्थकों का मानना है कि यह चुनावी अखंडता को सुनिश्चित करेगा .