Bangladesh News: बांग्लादेश एक बार फिर जल उठा है. इस बार भी छात्र आंदोलन की वजह से ढाका की सड़कों पर खून बह रहा है. दरअसल, वहां के दो गुट चाहते हैं कि आदिवासी शब्द को कक्षा 9 और 10 की किताबों में शामिल किया जाए, उनके बारे में बताया जाए. वे नेशनल करिकुलम एंड टेक्सटबुक बोर्ड के सामने प्रदर्शन कर रहा था. लेकिन एक अन्य गुट इसका विरोध कर रहा है. देखते ही ही देखते दोनों गुट आमने सामने आ गए. उपद्रवियों ने अल्पसंख्यकों को घेरकर लाठियां बरसाईं. इससे ढाका की सड़क पर खून ही खून नजर आया.
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, टकराव तब शुरू हुआ जब दोनों गुटों के प्रदर्शनकारी आमने सामने आ गए. लाठी डंडों से लैस प्रदर्शनकारियों ने देखते ही देखते एक दूसरे पर हमला बोल दिया. सिर फोड़ डाले. स्टूडेंट्स फॉर सॉवरेनिटी की डिमांड है कि आदिवासी शब्द को किताबों से हटाया जाए, उसकी जगह जुलाई अपराइजिंग का इस्तेमाल किया जाए. जिन लोगों ने आदिवासी शब्द शामिल किया है, उन्हें दंडित कियाा जाए.
seriously injured in an attack by reactionary terrorists called Students for Sovereignty during a protest against the removal of graffiti containing tribal words from the back cover of the Bengali Second Paper of Class 9-10 by the NCTB.#BBC #BBCNEWS #CNN #dhaka #BangladeshCrisis pic.twitter.com/ompxBCoZ9J
— Nami Trym (@NamiTrym) January 15, 2025
अल्पसंख्यकों की क्या डिमांड
जबकि अल्पसंख्यकों की डिमांड है कि आदिवासी इस देश का हिस्सा हैं. इसलिए उनके बारे में बताया जाना चाहिए. वे इसे बनाए रखने की मांग कर रहे थे. तभी स्टूडेंट्स फॉर सॉवरेनिटी के प्रदर्शनकारी उनके सामने आ गए और बहस के बाद मारपीट करने लगे. हमले में कई लड़कियों और छात्र गंभीर रूप से घायल हुए. जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं, उनमें लोगों को खून से सना हुआ आप देख सकते हैं. भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन की कार्यकारी समिति की सदस्य रूपैया श्रेष्ठा तनचंगा को भी गंभीर चोटें आई हैं.