India-China relations: बीजिंग और वॉशिंगटन के बीच ट्रेड वॉर अपने चरम पर पहुंचने वाला है. अमेरिका ने चीन पर आर्थिक प्रतिबंधों को और सख्त करते हुए नए टैरिफ की घोषणा की है. यह टकराव केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे भविष्य में सैन्य संघर्ष का रूप भी लेने की आशंका है. इस संकट के बीच चीन ने अचानक भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है.
ड्रैगन और हाथी की नई दोस्ती?
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के साथ 75 साल के राजनयिक संबंधों की वर्षगांठ पर एक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने भारत को "ड्रैगन और हाथी के सहयोगी नृत्य" (cooperative pas de deux) में शामिल होने का न्योता दिया. सवाल उठता है कि 2020 में गलवान में विश्वासघात करने वाले चीन को अब भारत की याद क्यों आई? विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका से बढ़ते तनाव के कारण चीन नए सहयोगी तलाश रहा है, और भारत उसकी रणनीति का हिस्सा बन सकता है.
ट्रेड वॉर और चीन की चाल
अमेरिका यदि चीन के उत्पादों पर कड़े टैरिफ लगाता है, तो चीन को अपने माल के लिए नए बाजार चाहिए. भारत, अपनी विशाल उपभोक्ता बाजार के साथ, चीन के लिए एक आदर्श विकल्प है. हालांकि, भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है. इसके अलावा, चीन अपनी आक्रामक छवि को सुधारने के लिए भारत जैसे देशों के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है.
मोदी-जिनपिंग की मुलाकात
पिछले दशक में नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की 18 मुलाकातें हुईं, लेकिन 2020 में गलवान में धोखे ने सबकुछ बदल दिया. अब, जब अमेरिका-चीन तनाव चरम पर है, शी ने फिर से दोस्ती की पेशकश की है. लेकिन क्या भारत को भरोसा करना चाहिए? विशेषज्ञ कहते हैं, "चीन की कूटनीति अवसरवादी रही है. जब तक उसे फायदा, वह दोस्ती की बात करता है.
भारत के विकल्प क्या हैं?
भारत को जल्दबाजी से बचना चाहिए और "वेट एंड वॉच" नीति अपनानी चाहिए. आत्मनिर्भर भारत, घरेलू उत्पादन, और इंडो-पैसिफिक साझेदारियों को प्राथमिकता देनी होगी. साथ ही, सीमा विवाद पर सख्त रुख और क्वाड जैसे गठबंधनों को मजबूत करना जरूरी है.
भारत को चीन की "यूज एंड थ्रो" रणनीति का जवाब उसी भाषा में देना होगा. शी जिनपिंग का यह संदेश रणनीतिक जाल हो सकता है. भारत को अपने हितों को प्राथमिकता देनी होगी और परस्पर सम्मान, संवेदनशीलता, और हितों पर आधारित संबंध बनाए रखने चाहिए.